UP Amnesty Scheme: उत्तर प्रदेश में 1200 राज्य कर अधिकारियों में से 1000 अधिकारियों पर निलबंन की तलवार लटक गई है। अधिकारियों को रोजाना पांच व्यापारियों को जोड़ने का टारगेट दिया जा रहा है।
दस फीसदी अधिकारी ही रोजाना लक्ष्य पाने में सफल
जानकारी के मुताबिक, अधिकारियों को जो टारगेट दिया जा रहा है उसमें केवल पांच से दस फीसद अधिकारी ही रोजाना लक्ष्य पाने में सफल हो रहे हैं और शासन ने लक्ष्य पूरा न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं।
एमनेस्टी योजना अधिकारियों के लिए परेशानी
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में भी कई राज्यों की तरह एमनेस्टी योजना लागू है। राज्य कर विभाग में लागू एमनेस्टी योजना अधिकारियों के लिए परेशानी बन सकती है। पूरे प्रदेश में करीब 436 खंड हैं, जिनमें लगभग 1200 अधिकारी तैनात हैं। इन अधिकारियों को व्यापारियों को जोड़ने का टारगेट दिया गया है। मगर काफ़ी परेशानियों का सामना करने के बाद भी पांच से दस फीसदी अधिकारी ही रोजाना पांच व्यापारियों को इस योजना में जोड़ने में सफल हो रहे हैं। अगर अधिकारियों से टारगेट पूरा नहीं हो पाया तो प्रमुख सचिव एम. देवराज ने कार्रवाई का अल्टीमेटम दे दिया है।
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अधिकारी किसी भी सूरत में रोजाना पांच केस एमनेस्टी में शामिल
बताते चलें कि इस मामले में जोनल एडिशनल कमिश्नरों द्वारा जारी किए पत्र में इस बात पर गौर किया गया है कि अधिकारी किसी भी सूरत में रोजाना पांच केस एमनेस्टी में शामिल करने ही हैं और अगर कोई अधिकारी इस आदेश को नहीं मानता है तो उन अधिकारियों को निलंबन भेज दिया जाएगा। सरकारी विभाग के 90 फीसदी से ज्यादा अधिकारियों पर एकसाथ कार्रवाई होगी।
क्या है एमनेस्टी योजना
जानकारी के मुताबिक, जीएसटी मामलों में ब्याज और जुर्माने से राहत देने वाली योजनाओं में एमनेस्टी योजना है, इस योजना में साल 2017-18, वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 के मामलों में राहत मिलेगी। इन तीन वित्त वर्षों के मामलों को एमनेस्टी योजना में लाने से कारोबारियों को केवल टैक्स देना पड़ेगा। ब्याज व पेनाल्टी से छूट मिल जाएगी। प्रदेश में लगभग 1.92 लाख व्यापारी एमनेस्टी योजना के दायरे में हैं। उन पर विभाग के 7,816 करोड़ रुपये बकाया है। टैक्स चुकाने पर 5,150 करोड़ रुपये के ब्याज और 1,213 करोड़ रुपये पेनाल्टी की छूट मिलेगी।
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