MAHAKUMBH 2025: महाकुंभ 2025 के दौरान खोया-पाया केंद्रों ने एक बार फिर अपनी अहम भूमिका निभाई है। इन केंद्रों ने अब तक 54 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं को उनके परिवार और रिश्तेदारों से मिलाने में सफलता हासिल की है। महाकुंभ के विशाल आयोजन में भीड़ के कारण कई लोग अपने परिवार से बिछड़ जाते हैं, लेकिन खोया-पाया केंद्रों की मदद से उन्हें फिर से अपनों से मिलाया जाता है।
बिछड़ों को अपनो से मिलाने काम
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में स्थापित किए गए खोया-पाया केंद्रों ने लगातार काम करके बिछड़े हुए लोगों को उनके परिवार से जोड़ने का काम किया है। इन केंद्रों में आधुनिक तकनीक और स्थानीय प्रशासन की मदद से लापता लोगों की जानकारी एकत्र की जाती है और उन्हें उनके परिजनों से मिलाया जाता है।
54 हजार से ज्यादा लोग कुंभ में खोए
एक अधिकारी ने बताया, “महाकुंभ में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में कई लोग भीड़ के कारण अपने परिवार से बिछड़ जाते हैं। खोया-पाया केंद्रों का मुख्य उद्देश्य इन लोगों को उनके परिवार से फिर से जोड़ना है। इस बार हमने 54 हजार से ज्यादा लोगों को उनके परिजनों से मिलाने में सफलता हासिल की है।
जानकारी एकत्र करने के लिए विशेष टीमें तैनात
खोया-पाया केंद्रों में लापता लोगों की जानकारी एकत्र करने के लिए विशेष टीमें तैनात की गई हैं। इन टीमों ने सोशल मीडिया, सार्वजनिक घोषणाएं और अन्य माध्यमों से लापता लोगों की तलाश की है। इसके अलावा, केंद्रों में सीसीटीवी कैमरों और अन्य तकनीकी सुविधाओं का भी इस्तेमाल किया गया है।
श्रद्धालुओं ने खोया-पाया केंद्रों की सराहना
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं ने खोया-पाया केंद्रों की सराहना की है। एक श्रद्धालु ने बताया, “मैं अपने परिवार से बिछड़ गया था और बहुत परेशान हो गया था। लेकिन खोया-पाया केंद्र की मदद से मुझे मेरे परिवार से फिर से मिला दिया गया। मैं इस टीम का आभारी हूं।” महाकुंभ 2025 में खोया-पाया केंद्रों की सफलता ने एक बार फिर साबित किया है कि सही प्रबंधन और तकनीक के इस्तेमाल से बड़े आयोजनों में भी लोगों की मदद की जा सकती है। प्रशासन ने कहा है कि महाकुंभ के आखिरी दिनों तक इन केंद्रों को सक्रिय रखा जाएगा ताकि कोई भी श्रद्धालु अपने परिवार से बिछड़ा न रहे।
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