हाइलाइट्स
- एनीमिया से पीड़ित प्रेग्नेंट महिला काे जरूरत थी बॉम्बे ब्लड ग्रुप के रक्त की
- एम्स प्रशासन ने प्रयास कर बॉम्बे ब्लड ग्रुप के शख्स को शिर्डी से बुलाया
- इसके बाद सफल हो सकी डिलीवरी, बॉम्बे ब्लड ग्रुप बेहद दुर्लभ है
Rare Bombay Blood Group: भोपाल एम्स लगातार सार्थक प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में अस्पताल के डॉक्टर्स ने एक एनीमिया पीड़ित प्रेग्नेंट महिला को रेयर ब्लड ग्रुप उपलब्ध कराकर उसकी जान बचाई है। इस मामले में एम्स के डॉक्टर्स और अस्पताल प्रशासन ने तो गजब की तत्परता दिखाई। साथ ही इस रेयर ब्लड ग्रुप का डोनर 700 किमी दूर (शिर्डी) से भोपाल आया और महिला को नया जीवनदान दिया। बताते हैं महिला एनीमिया से पीड़ित है और 40 हफ्ते की प्रेग्नेंट थी।
प्रेग्नेंट महिला को चाहिए था रेयर बॉम्बे ब्लड
एम्स भोपाल में भर्ती प्रेग्नेंट महिला की हालत गंभीर थी। डॉक्टर्स ने तत्काल ब्लड चढ़ाने की जरूरत बताई, लेकिन समस्या थी कि महिला को “बॉम्बे ब्लड ग्रुप” का ब्लड चाहिए था, जो बेहद दुर्लभ होता है। अस्पताल के ब्लड बैंक में यह उपलब्ध नहीं था। महिला का जीवन संकट में था। डॉक्टरों के पास समय कम था और अगर जल्द ही रक्त नहीं मिलता, तो जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा हो सकता था। यानी दो जिंदगियां बच गई हैं।
एम्स ने इस तरह चलाया अभियान

एम्स भोपाल के निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह को जब यह जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत डॉक्टर्स और ब्लड बैंक टीम को सक्रिय कर दिया। ब्लड बैंक में खोजबीन के बाद जब रक्त नहीं मिला, तो रेड क्रॉस से संपर्क किया गया, जो रेयर ब्लड ग्रुप के डोनर्स की सूची तैयार करने में मदद करता है।
इस संगठन के प्रमुख अशोक नायक जो वर्षों से रक्तदान जागरूकता के लिए काम कर रहे हैं, ने मामले को प्राथमिकता से लिया और संभावित ब्लड डोनर्स की खोज शुरू की। उसी दौरान जानकारी मिली कि शिर्डी में रहने वाले रवींद्र, जो स्वयं बॉम्बे ब्लड ग्रुप (Bombay Blood Group) के दुर्लभ रक्तदाता हैं, मदद के लिए आगे आ सकते हैं।
रवींद्र को जैसे ही सूचना मिली, तत्काल शिर्डी से रवाना हुए
समस्या यह थी कि बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले रवींद्र उस समय शिर्डी में थे, जबकि महिला भोपाल में भर्ती थी और उसे तुरंत रक्त की जरुरत थी। बिना समय गंवाए, अशोक नायक और एम्स भोपाल प्रशासन की मदद से एक विशेष वाहन की व्यवस्था की गई। रवींद्र ने तत्काल 700 किलोमीटर की यात्रा शुरू की और जल्द से जल्द भोपाल पहुंचने प्रयास किया। इस दौरान एम्स प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए था और डॉक्टर मरीज की हालत को नियंत्रित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे थे।
उधर, रवींद्र भी अपनी यात्रा के दौरान हर घंटे अपनी स्थिति साझा कर रहे थे, ताकि डॉक्टरों को अनुमान रहे कि रक्तदान कब तक संभव होगा। जैसे ही रवींद्र भोपाल पहुंचे, तुरंत मेडिकल जांच के बाद उनका रक्त निकाला गया। फिलहाल महिला की हालत अभी स्थिर है।
तीन-चार महीने से महिला की डिलीवरी कराने इस ग्रुप ब्लड की थी तलाश
डॉ. रोमेश जैन ने बताया कि एक प्रेग्नेंट महिला करीब चार महीने से लगातार आ रहीं थीं, हमें इस दौरान पता चला कि महिला का बॉम्बे ब्लड ग्रुप है। जिसके बाद हम पिछले तीन महीने से डिलीवरी के लिए उस ब्लड की तलाश कर रहे थे। वह ब्लड हमें भोपाल में कहीं से भी नहीं मिल सका। ब्लड डोनेशन सेक्टर में जाने-माने शख्स अशोक नायक से मुलाकात हुई। इसके बाद उन्होंने शिर्डी के रहने वाले रवींद्र से संपर्क कराया। वह रात भर में भोपाल पहुंचे। उन्होंने ब्लड डोनेट किया। जिसके बाद महिला की सुरक्षित डिलीवरी हो सकी।
एम्स भोपाल के निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा कि यह घटना हमें याद दिलाती है कि रक्तदान सिर्फ जरूरतमंद के लिए नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। खासतौर पर दुर्लभ रक्त समूह वालों को अपनी जानकारी ब्लड बैंकों में दर्ज करानी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी और की जान बचाई जा सके।
महिला के पति ने कहा- हम तीन महीने से परेशान
महिला के पति कपिल ने बताया कि हम तीन महीने से परेशान हो रहे थे, हमें नहीं लग रहा था कि यह ब्लड कहीं मिलेगा। कई जगहों पर पता करने के बाद निराश ही मिली थी। मैं रवींद्र जी का आभारी हूं। जो ऐसे समय में वह भोपाल आए। वहीं शिर्डी से आए रवींद्र ने कहा, बाई कार आया हूं। 28 फरवरी की रात शिर्डी से निकल कर 1 मार्च को भोपाल पहुंचा हूं। मैं लोगों से यही कहूंगा कि रक्त दान हमें हर तीन महीने में करना चाहिए, इससे किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है।
देश में सिर्फ 180 लोगों का बॉम्बे ब्लड ग्रुप
अशोक नायक ने बताया कि हम 16 सालों से लगातार लोगों के लिए ब्लड डोनेशन करवा रहे हैं। इस ब्लड ग्रुप की डिमांड पांच बार आई है। हर बार हमने अरेंज करवाया है। जैसे रवींद्र जी शिर्डी से आए हैं। यह ब्लड ग्रुप देश में कुल 180 लोगों में पाया गया है। यह दुनिया का सबसे रेयर ब्लड ग्रुप है।
ये भी पढ़ें: Asia Kabaddi Championship 2025: कोरबा की बेटी संजू देवी करेगी एशिया कबड्डी प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व
बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या है ?
सामान्यतः लोग ए, बी, एबी और ओ ब्लड ग्रुप से परिचित होते हैं, लेकिन बॉम्बे ब्लड ग्रुप इन सबसे अलग है। इसे “hh ब्लड ग्रुप” भी कहा जाता है, और यह लाखों में किसी एक व्यक्ति में ही पाया जाता है। इस ब्लड ग्रुप की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यह ना तो ओ ग्रुप से मैच करता है और ना ही किसी अन्य ब्लड ग्रुप से।
इसका मतलब यह है कि यदि किसी मरीज को बॉम्बे ब्लड ग्रुप की जरूरत हो, तो उसे सिर्फ इसी ग्रुप का रक्त चढ़ाया जा सकता है। यही कारण था कि इस गर्भवती महिला की जान बचाना इतना कठिन हो गया था। डॉक्टर्स के अनुसार यह 10 हजार से 1 लाख व्यक्तियों के बीच पाया जाता है। इसकी खोज सबसे पहले साल 1952 में डॉक्टर वाईएम भेंडे ने मुंबई में की थी।
MP School News: 1 अप्रैल से शुरू होगा सरकारी स्कूलों का नया शैक्षणिक सत्र, शिक्षकों की छुट्टियां होगी कम
MP Govt School New Academic Session 2025: मध्यप्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र 1 अप्रैल से शुरू किया जाएगा। इस दिन स्कूलों में प्रवेशोत्सव मनाया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। निर्देशों के अनुसार, शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले स्कूलों को सजाया जाएगा और बाल सभा का आयोजन किया जाएगा। विद्यार्थियों का स्वागत किया जाएगा, जिसमें वरिष्ठ विद्यार्थी भी कनिष्ठ विद्यार्थियों का स्वागत करेंगे। इसके अलावा, 1 अप्रैल को ही सभी विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया जाएगा। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…