MP High Court News: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने थियेटर और मल्टीप्लेक्स में दर्शकों को जबरन विज्ञापन दिखाने के मामले में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि हर टिकट पर फिल्म के शो का समय स्पष्ट रूप से अंकित किया जाना चाहिए। साथ ही विज्ञापन दिखाए जा सकते हैं, लेकिन दर्शकों को उन्हें देखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। यह निर्देश हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शनिवार को दिया।
जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे
ग्वालियर की विधि छात्रा स्वाति अग्रवाल द्वारा दायर इस जनहित याचिका में केंद्र सरकार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया और मध्य प्रदेश शासन को पक्षकार बनाया गया था। याचिका में कहा गया कि देश भर के थियेटर और मल्टीप्लेक्स में हर दिन सैकड़ों लोग फिल्में देखने जाते हैं।
टिकट खरीदने के बाद उन्हें विज्ञापन दिखाना एक तरह की जबरदस्ती है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। याचिका में मांग की गई कि फिल्म का शो उसी समय शुरू होना चाहिए, जो टिकट पर अंकित हो। साथ ही, 20 से 40 मिनट तक का समय विज्ञापन दिखाने में व्यर्थ न किया जाए।

फिल्म टिकट एक अनुबंध है
याचिका में यह भी कहा गया कि फिल्म का टिकट एक अनुबंध होता है, जिसमें फिल्म के प्रदर्शन का समय स्पष्ट रूप से बताया जाता है। हालांकि, फिल्म को टिकट पर अंकित समय से 10 से 20 मिनट बाद ही दिखाया जाता है।
इस दौरान मल्टीप्लेक्स कंपनियां सिनेमाघर में मौजूद दर्शकों को एक तरह से बंधक बनाकर जबरन कमर्शियल विज्ञापन दिखाती हैं और मुनाफा कमाती हैं। याचिका में इस प्रथा को अनुचित और दर्शकों के अधिकारों का हनन बताया गया।
हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्देश
हाई कोर्ट ने इस मामले में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को नियमों में संशोधन करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि हर टिकट पर फिल्म के शो का समय स्पष्ट रूप से अंकित किया जाना चाहिए, ताकि दर्शकों को पता हो कि उन्हें फिल्म किस समय देखने को मिलेगी।
साथ ही, विज्ञापन दिखाने की प्रथा को लेकर भी सख्त नियम बनाए जाने चाहिए, ताकि दर्शकों को जबरन विज्ञापन देखने के लिए मजबूर न किया जाए।
यह भी पढ़ें-