UP Teacher Tranfer 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित विधान सभा के निचले सदन विधान परिषद में शिक्षक तबादले का मामला एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। प्रश्न प्रहर में बीजेपी के देवेंद्र प्रताप सिंह प्रश्न प्रहर में कहा कि सिर्फ इतना बता दिया जाए कि शेष मामलों में कब तक निर्णय ले लिया जाएगा।
दरअसल, सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में ट्रांसफर के लिए आए 88 आवेदनों में से सिर्फ चार शिक्षकों के तबादलों पर सवाल उठे हैं। इस संबंध में यूपी के उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि साल 2024 में स्थानांतरण नियमावली जारी की गई थी। सभी आवेदन एकल ट्रांसफर के लिए हैं, कोई भी आवेदन पारस्परिक स्थानांतरण के लिए नहीं है। छात्र हित में बीच सत्र में तबादले नहीं किए गए। अगले एक माह में परीक्षण पूरा हो जाएगा, जो उचित होगा, निर्णय ले लिया जाएगा।
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2024 में स्थानांतरण नियमावली जारी की गई थी
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि साल 2024 में स्थानांतरण नियमावली जारी की गई थी, जिसके तहत सभी आवेदन एकल ट्रांसफर के लिए थे। उन्होंने कहा कि कोई भी आवेदन पारस्परिक स्थानांतरण के लिए नहीं था। मंत्री ने आगे कहा कि अगले एक महीने में परीक्षण प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और उचित निर्णय लिया जाएगा।
योग्यता के आधार पर निर्णय
इस मामले में विधान परिषद के सदस्यों ने सरकार से पारदर्शिता बनाए रखने की मांग की। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया में पक्षपात नहीं होना चाहिए और योग्यता के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए।
4 तबादले करने के पीछे क्या तर्क
सरकार की ओर से दिए गए जवाब के बाद भी विपक्ष ने इस मामले को लेकर सवाल खड़े किए। उनका कहना है कि सिर्फ 4 तबादले करने के पीछे क्या तर्क है, यह स्पष्ट नहीं है। सदन में मांग की गई कि शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जाए तथा सभी योग्य आवेदकों को समान अवसर दिया जाए।
छात्रों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता
इस मुद्दे पर सरकार ने स्पष्ट किया कि छात्रों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है और बीच सत्र में तबादले न करने का निर्णय इसी को ध्यान में रखकर लिया गया है। अगले एक महीने में इस प्रक्रिया को पूरा करने का आश्वासन दिया गया है।