Sambhal Jama Masjid case: संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अदालत में स्पष्ट किया है कि मस्जिद को रंगाई-पुताई की जरूरत नहीं है। एएसआई ने इस संबंध में अदालत को फोटोग्राफ भी पेश किए हैं, जो मस्जिद की वर्तमान स्थिति को दर्शाते हैं।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब कुछ स्थानीय लोगों ने मस्जिद की दीवारों और गुंबदों को रंगने-पुताई करने की मांग की थी। हालांकि, एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मस्जिद एक ऐतिहासिक धरोहर है और इसकी मूल संरचना को बनाए रखना जरूरी है। एएसआई के अनुसार, किसी भी तरह की रंगाई-पुताई से इसकी ऐतिहासिकता और पुरातात्विक महत्व को नुकसान पहुंच सकता है।
तस्वीरों के आधार पर एएसआई ने दावा
एएसआई ने अदालत को सौंपे गए फोटोग्राफ में मस्जिद की दीवारों, गुंबदों और अन्य हिस्सों की वर्तमान स्थिति को दिखाया है। इन तस्वीरों के आधार पर एएसआई ने दावा किया है कि मस्जिद की संरचना अभी भी मजबूत है और इसे किसी तरह की मरम्मत या रंगाई की आवश्यकता नहीं है।
मामले में अगली सुनवाई की तारीख तय की
इस मामले में सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने एएसआई की रिपोर्ट और फोटोग्राफ को गंभीरता से लिया है। अदालत ने अब इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख तय की है, जिसमें स्थानीय लोगों और एएसआई के बीच तर्क-वितर्क होगा।
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ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
संभल की जामा मस्जिद मुगलकालीन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाना जरूरी है। एएसआई का यह कदम ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।