Indore BRTS Corridor: भोपाल के बाद अब इंदौर में भी बीआरटीएस को हटाने का फैसला हो गया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने गुरुवार को इसकी अनुमति दे दी। अदालत के आदेश के बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि सरकार खुद ही इसे हटाना चाहती थी, ताकि यातायात सुगम हो सके। अब HC का आदेश आ गया है, तो जल्द ही हटाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
12 साल पुराने BRTS को हटाने का फैसला
इस तरह 12 साल पुराने इंदौर बीआरटीएस को तोड़ने का रास्ता साफ हो गया। BRTS को लेकर हाईकोर्ट में चल रही दो जनहित याचिकाओं में गुरुवार को सुनवाई हुई। वर्तमान परिस्थितियों में बीआरटीएस की उपयोगिता और व्यावहारिकता जांचने के लिए बनाई गई। पांच सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट अदालत के सामने रखी। इसमें कहा गया कि इंदौर का बीआरटीएस वर्तमान परिस्थिति में अपनी उपयोगिता खो चुका है।
इसकी वजह से अक्सर जाम की स्थिति बनती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद इसे तोड़ने की घोषणा कर चुके हैं। याचिका में भी BRTS को तोड़ने की मांग की गई थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की युगलपीठ ने बीआरटीएस तोड़ने के सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी।
जांचने के लिए बनी थी कमेटी
हाईकोर्ट ने मौजूदा परिस्थितियों में बीआरटीएस प्रोजेक्ट की उपयोगिता और व्यवहारिकता की जांच के लिए 5 सदस्यों की कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे। इसमें सीनियर वकील अमित अग्रवाल के साथ ही आईआईएम और आईआईटी के डायरेक्टर की ओर से नॉमिनेट एक्सपर्ट्स शामिल थे। हाई कोर्ट इससे पहले भी साल 2013 में बीआरटीएस की उपयोगिता और व्यवहारिकता की जांच के लिए कमेटी गठित कर चुका है।
बीआरटीएस पर 49 बसें, इनमें 29 CNG
इंदौर के BRTS पर अभी कुल 49 बसें चल रही हैं। इनमें 29 बस सीएनजी हैं, बाकी डीजल हैं। डीजल की 20 बस को इलेक्ट्रिक बस से बदल दिया जाएगा। इसके अलावा 10 नई बसें भी चलाई जाएंगी। इससे ओवरलोडिंग की समस्या कम होगी।
एआईसीटीएसएल के अधिकारियों के अनुसार, डीजल बस को रिप्लेस करने का मकसद इंदौर बीआरटीएस को ग्रीन कॉरिडोर बनाना है। नई बस आने के बाद यहां चलने वाली बसों की कुल संख्या 49 से बढ़कर 59 हो जाएगी। फिलहाल बस का राजीव गांधी डिपो के अंदर ही चार्जिंग, कैपेसिटी और कंफर्ट सहित अन्य पॉइंट पर ट्रायल किया जा रहा है।
नौकरीपेशा और स्टूडेंट्स करते हैं सफर
बीआरटीएस कॉरिडोर शहर के बीचों बीच है। यह लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी है। इस रूट पर कई शैक्षणिक संस्थाएं, अस्पताल और कॉर्पोरेट ऑफिस हैं। यही वजह है कि बीआरटीएस में चलने वाली I-BUS में रोजाना बड़ी संख्या में यात्री सफर करते हैं। ज्यादातर नौकरीपेशा वर्ग बसों का उपयोग करता है।
एआईसीटीएसएल के अफसरों की मानें तो औसतन 55 से 65 हजार यात्री इसमें रोजाना सफर करते हैं। बता दें, इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों में बड़ा वर्ग स्टूडेंट्स का भी है।
300 करोड़ की लागत से बना था बीआरटीएस
इंदौर में 300 करोड़ रुपए की लागत से बीआरटीएस का निर्माण हुआ था। इसकी बस लेन में 12 स्टेशन भी बनाए गए हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए जवाहर लाल शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत इंदौर को राशि मिली थी। बस के लिए खास लेन बनाने का कुछ लोगों ने विरोध भी किया था।
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