Tenant Rental Rights: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किरायेदार मकान मालिक को यह निर्देश नहीं दे सकता कि वह अपनी किसी अन्य संपत्ति को खाली कराए। अदालत ने स्पष्ट किया कि मकान मालिक यह तय करने का सबसे अच्छा न्यायाधीश होता है कि उसकी विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए किस संपत्ति को खाली किया जाना चाहिए।
मकान मालिक की जरूरत सबसे ज्यादा मायने रखती है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक यह तय करने का सबसे अच्छा न्यायाधीश होता है कि उसकी कौन सी संपत्ति को खाली किया जाए। किरायेदार यह नहीं कह सकता कि मकान मालिक को दूसरी संपत्ति खाली करनी चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि मकान मालिक की जरूरत वास्तविक होनी चाहिए, न कि सिर्फ इच्छा।
केस का बैकग्राउंड
यह मामला झारखंड के चतरा नगर पालिका में एक संपत्ति से जुड़ा हुआ है। इस मामले में, एक मकान मालिक ने अपने दो बेरोजगार बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित करने के लिए अपनी संपत्ति खाली करने की मांग की थी। निचली अदालत और हाईकोर्ट ने मकान मालिक की याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिक की अपील स्वीकार कर ली और कहा कि उसकी जरूरत वास्तविक है।
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किरायेदार का तर्क खारिज
किरायेदार ने तर्क दिया कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां हैं और वह उन्हें खाली कर सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि मकान मालिक यह तय करने का अधिकार रखता है कि उसकी कौन सी संपत्ति को खाली किया जाए। किरायेदार यह नहीं कह सकता कि मकान मालिक को दूसरी संपत्ति खाली करनी चाहिए।
मकान मालिक की जरूरत वास्तविक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक ने साबित किया है कि उसके दो बेटे बेरोजगार हैं और उन्हें व्यवसाय शुरू करने के लिए संपत्ति की जरूरत है। इसके अलावा, यह संपत्ति एक मेडिकल क्लिनिक और पैथोलॉजी सेंटर के पास है, जो अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित करने के लिए आदर्श स्थान है। इसलिए, मकान मालिक की जरूरत वास्तविक और जायज है।
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