Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश में कृषि शिक्षकों की भर्ती को लेकर अहम निर्णय लिया है। अब कृषि शिक्षकों के लिए बीएड डिग्री अनिवार्य होगी और इसमें किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जा सकेगी।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने छूट के प्रावधान को असंवैधानिक और अधिकारहीन करार दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि भर्ती प्रक्रिया को निर्धारित नियमों के अनुसार ही पूरा किया जाए।
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याचिकाकर्ताओं की आपत्ति और तर्क
कृषि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में शामिल कुछ आवेदकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि वे कृषि विज्ञान में स्नातक होने के साथ-साथ बीएड या डीएलएड उत्तीर्ण कर चुके थे और उन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) भी पास की थी।
याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा 5 मार्च 2019 को जारी अधिसूचना को चुनौती दी, जिसमें बीएड की अनिवार्यता को हटा दिया गया था। उनका तर्क था कि बिना प्रशिक्षित शिक्षकों को पढ़ाने की अनुमति देने से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी और यह शैक्षिक मानकों को कमजोर करेगा।
राज्य सरकार और एनसीटीई का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता और एनसीटीई के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रदेश में कृषि शिक्षकों की कमी को देखते हुए नियमों में ढील दी गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिक्षक योग्यता से जुड़ी शर्तों को केवल एनसीटीई ही निर्धारित कर सकता है, राज्य सरकार नहीं।
एनसीटीई नियमों के विरुद्ध था राज्य का निर्णय
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य शासन द्वारा अनिवार्य योग्यता को हटाना राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के नियमों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ताओं ने भी एनसीटीई अधिनियम, 1993 की धारा 12-ए और 32 का हवाला देते हुए तर्क दिया कि शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता केवल एनसीटीई द्वारा तय की जाती है। इस आधार पर कोर्ट ने राज्य सरकार को भर्ती प्रक्रिया में नियमों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया।
भर्ती प्रक्रिया में कड़ाई से लागू होंगे नियम
इस फैसले के बाद अब कृषि शिक्षकों की भर्ती में बीएड अनिवार्य होगा और इसमें किसी प्रकार की छूट नहीं मिलेगी। हाईकोर्ट के इस निर्णय से प्रदेश में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक नई स्पष्टता आई है और भविष्य में शिक्षकों की योग्यता से जुड़ी शर्तों में बदलाव राज्य सरकार द्वारा एकतरफा नहीं किया जा सकेगा।