Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ की नियुक्ति के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
अदालत में यह जानकारी दी गई कि देशभर के 16 स्थानों पर विशेषज्ञ की नियुक्ति हो चुकी है, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक इस नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह राज्य में जल्द से जल्द विशेषज्ञ की नियुक्ति करे।
केंद्र सरकार को 4 सप्ताह का समय
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा से इस मामले में जवाब मांगा गया। उन्हें 4 हफ्ते के भीतर एक शपथपत्र (हलफनामा) पेश करने के लिए कहा गया है, जिसमें यह जानकारी दी जाएगी कि नियुक्ति प्रक्रिया में अब तक क्या प्रगति हुई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई 10 मार्च को होगी।
राज्य सरकार का पक्ष
इस मामले की याचिका शिरीन मालेवर ने दायर की थी, जिसे अधिवक्ता रुद्र प्रताप दुबे और गौतम खेत्रपाल के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने देशभर में 16 जगहों पर इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञों की नियुक्ति की है, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक इस नियुक्ति की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने भी यह पुष्टि की कि राज्य में आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की जांच करने के लिए कोई विशेषज्ञ नियुक्त नहीं किया गया है। इसके बाद अदालत ने केंद्र सरकार को इस मामले में तुरंत कदम उठाने का आदेश दिया।
साइबर अपराधों में विशेषज्ञ की भूमिका
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों के मद्देनजर इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ की नियुक्ति बहुत जरूरी हो गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई करेगी।
इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ कौन होते हैं?
इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ को डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट भी कहा जाता है। ये विशेषज्ञ कंप्यूटर, मोबाइल, नेटवर्क और अन्य डिजिटल उपकरणों से डेटा इकट्ठा करके उसकी जांच करते हैं ताकि अपराध से जुड़े सबूत मिल सकें।
वे डिलीट किए गए डेटा को रिकवर करने, साइबर धोखाधड़ी की जांच करने, हैकिंग के सबूत ढूंढने और डिजिटल दस्तावेजों की सच्चाई का पता लगाने का काम करते हैं। इन विशेषज्ञों की भूमिका साइबर अपराधों की जांच और अदालत में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पेश करने में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।