Elections Freebies Case: सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी को चुनाव के समय दी जाने वाली मुफ्त की योजनाओं (फ्रीबीज़) पर टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लोग काम करना नहीं चाहते, क्योंकि आप उन्हें मुफ्त राशन दे रहे हैं। बिना कुछ किए उन्हें पैसे दे रहे हैं। टिप्पणी करने के साथ-साथ कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि इन लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की बजाय, क्या आप मुफ्त की योजनाएं लागू करके परजीवियों की जमात नहीं खड़ी कर रहे हैं?
दरअसल, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ड मसीह की बेंच शहरी इलाकों में बेघर लोगों को आसरा देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ये सवाल-जवाब किए।
शहरी गरीबी उन्मूलन कब होगा पूरा
जस्टिस गवई की बेंच ने केंद्र से पूछा कि कितने समय में शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन पूरा किया जाएगा। उन्होंने अटॉर्नी जनरल से कहा कि आप केंद्र से इसका जवाब मांगिए और हमें बताइए। इस पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कोर्ट से कहा- केंद्र जल्द ही इस मिशन को पूरा करेगा, इसमें शहरी बेघरों के लिए घर जैसी व्यवस्था और कई अन्य मसले शामिल किए गए हैं।
शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन की विस्तृत जानकारी मांगी
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन और शहरों में रह रहे बेघर लोगों को आश्रय देने की योजनाओं को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि सरकार सुनिश्चित करें कि जो आंकड़े दिए गए हैं, वे वास्तविक स्थिति को दर्शाते हैं या नहीं।
योजना लागू करने में कितना समय
जस्टिस गवई की बेंच ने अटॉर्नी जनरल से यह भी जांचने को कहा कि इस योजना को लागू करने में कितना समय लगेगा। साथ ही इसके तहत कौन-कौन से पहलू शामिल किए जाएंगे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह स्पष्ट करने को भी कहा कि जब तक नई योजना लागू नहीं होती, तब तक क्या राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन जारी रहेगा?
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