MP Private School: मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग और राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा लागू किए गए नए नियमों के कारण प्रदेश के 8 हजार से अधिक प्राइवेट स्कूलों की मान्यता अधर में लटकी है। 10 फरवरी को मान्यता के लिए आवेदन की लास्ट डेट थी, लेकिन इतने सारे स्कूलों ने आवेदन नहीं किया है। इनमें भोपाल के 232 स्कूल भी शामिल हैं।
232 स्कूलों ने नहीं किया मान्यता के लिए आवेदन
ऐशबाग स्थित ब्लू बेल स्कूल के संचालक और प्रदेश संचालक मंच के कोषाध्यक्ष मोनू तोमर ने बताया कि 232 स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है या नए नियमों के आधार पर मान्यता लेने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनके स्कूल में करीब 370 बच्चे पढ़ते हैं। यदि स्कूल को मान्यता नहीं मिलती है, तो करीब 10 लाख बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
सरकार के नियमों पर आपत्ति
मोनू तोमर ने कहा कि सरकार के नए नियमों में स्कूलों को कोई विकल्प नहीं दिया गया है। उन्होंने मांग की कि यदि सरकार पुराने नियमों पर मान्यता नहीं दे सकती है, तो कम से कम स्कूलों को हां या ना का विकल्प दिया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को रजिस्टर्ड किरायानामे की शर्त को खत्म करना चाहिए या कम से कम 6 से 8 महीने का समय देना चाहिए, ताकि स्कूल नई व्यवस्था कर सकें।
अभिभावक सड़क पर उतरेंगे
मोनू तोमर ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मान्यता नियमों में संशोधन नहीं किया, तो इस बार सरकार को अभिभावकों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। स्कूलों को मान्यता नहीं मिलने पर अभिभावक सरकार के खिलाफ आंदोलन कर सकते हैं।
स्कूल प्रिंसिपल की मांग
एल स्क्वायर पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ललिता मेवाड़ा ने बताया कि उनके स्कूल में करीब 180 बच्चे पढ़ते हैं। उन्होंने मान्यता के लिए आवेदन तो किया है, लेकिन उसे लॉक नहीं किया है। उन्होंने कहा कि 10 फरवरी की अंतिम तिथि निकल जाने के बाद 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है और आवेदन शुल्क 12 हजार से बढ़कर 17 हजार रुपये हो गया है।
ललिता मेवाड़ा ने कहा कि उनकी चार प्रमुख मांगें हैं, जिनमें से दो के लिए वे तैयार हैं। लेकिन रजिस्टर्ड किरायानामे की शर्त को पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में वे कोर्ट गए हैं और कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
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