Indore Fish Gallbladder Incident: इंदौर के संगम नगर निवासी दुर्गाप्रसाद सुनानिया (42) की तबीयत मछली खाने के बाद अचानक बिगड़ गई। 24 दिसंबर 2024 को दोपहर के भोजन में मछली खाने के कुछ देर बाद ही उन्हें तेज उल्टियां और लूज मोशन होने लगे।
उनका ब्लड प्रेशर गिर गया और शरीर पर सूजन आ गई। शुरुआती इलाज के लिए उन्हें तीन अलग-अलग अस्पतालों में ले जाया गया, जहां पता चला कि उनका लिवर और किडनी फेल हो चुके हैं। डॉक्टरों ने हाई डोज एंटीबायोटिक दिए और डायलिसिस की जरूरत बताई।
हालांकि, जब परिजन उन्हें मेदांता अस्पताल ले गए, तो डॉक्टरों ने सही कारण पहचाना। दुर्गाप्रसाद ने बताया कि उन्होंने गलती से मछली की पित्त की थैली खा ली थी, जिससे शरीर में जहरीला टॉक्सिन फैल गया था। डॉक्टरों ने विशेष इलाज के जरिए इस टॉक्सिन को बाहर निकाला। एक हफ्ते के भीतर उनकी हालत में सुधार हुआ और वह पूरी तरह स्वस्थ हो गए।
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क्या थी समस्या?
डॉक्टरों के अनुसार, मछली की पित्त की थैली का सेवन बेहद खतरनाक होता है। इससे दुर्गाप्रसाद के लिवर और किडनी के पैरामीटर्स खतरनाक स्तर तक बढ़ गए थे।
SGOT और SGPT एंजाइम्स 3000-4000 के स्तर तक पहुंच गए थे, जबकि क्रिएटिनिन 8-9 तक बढ़ गया था।
डॉक्टरों ने स्पेशल फिल्टर के जरिए टॉक्सिन को निकाला और तीन सेशन में उनकी हालत में सुधार किया। यह सेंट्रल इंडिया में ऐसा पहला मामला माना जा रहा है।
कैसे हुई गलती?
दुर्गाप्रसाद ने बताया कि वे खुद मछुआरा समाज से हैं और मछली का सेवन करना उनके लिए सामान्य बात है। घटना के दिन उन्होंने मछली की सफाई की थी, लेकिन पित्त की थैली गलती से पानी के साथ उनके पेट में चली गई। उन्होंने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है।
डॉक्टर का क्या कहना है?
दुर्गाप्रसाद का इलाज करने वाले डॉ. जय सिंह अरोरा (नेफ्रोलॉजिस्ट) ने बताया कि मछली की पित्त की थैली का सेवन बेहद घातक होता है। ऐसे मामलों में सही समय पर इलाज न मिलने पर मृत्यु की 100% आशंका रहती है। उन्होंने बताया कि स्पेशल फिल्टर से टॉक्सिन निकालने की प्रक्रिया की गई, जिससे मरीज की जान बचाई जा सकी।
इलाज में हुए डेढ़ लाख रुपये खर्च
दुर्गाप्रसाद ने बताया कि उन्हें 3 जनवरी को डिस्चार्ज कर दिया गया। फिर 18 जनवरी को फॉलोअप में डॉक्टर को दिखाया तो अधिकांश दवाइयां बंद कर दी गई और अब सिर्फ दो ही दवाइयां चल रही हैं। उनका कहना है कि वह अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
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