EVM Verification: सुप्रीम कोर्ट में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के वेरिफिकेशन के लिए नीति बनाने की मांग की। ADR ने याचिका में बताया कि चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए EVM वेरिफिकेशन के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल 2024 के निर्णय के अनुरूप नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को आदेश
CJI संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने चुनाव आयोग को आदेश दिया है कि सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने तक EVM में कोई डेटा रिलोड न करें, न कोई डेटा डिलीट करें। यह कोई विरोध की स्थिति नहीं है। अगर हारने वाले उम्मीदवार को कोई स्पष्टीकरण चाहिए, तो इंजीनियर यह स्पष्ट कर सकता है कि कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।
EVM वेरिफिकेशन का कॉस्ट कम करने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वेरिफिकेशन की लागत 40 हजार रुपए बहुत अधिक है। कोर्ट ने इस लागत को घटाने का निर्देश भी दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी पूरी जानकारी
इलेक्शन कमीशन को अब सुप्रीम कोर्ट में EVM की मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर डिलीट करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी देनी होगी। अगली सुनवाई 3 मार्च से शुरू होने वाले हफ्ते में होगी।
CJI संजीव खन्ना ने क्या कहा ?
CJI संजीव खन्ना ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से कहा कि अप्रैल 2024 में ADR Vs इलेक्शन कमीशन केस में दिए गए फैसले का ये मतलब नहीं था कि EVM से चुनाव का डेटा डिलीट किया जाए, या रीलोड किया जाए। उस फैसले का मकसद ये था कि चुनाव होने के बाद EVM मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का कोई इंजीनियर मशीन को वेरिफाई और चेक कर सके।
सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल 2024 को चुनाव आयोग को दिए थे निर्देश
सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस यूनिट को सील कर दिया जाए। सील की गई यूनिट को 45 दिन के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाए।
इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पेपर स्लिप की गिनती के सुझाव का परीक्षण करिए।
यह भी देखिए कि क्या चुनाव निशान के अलावा हर पार्टी के लिए बारकोड भी हो सकता है।
EVM की जांच कराने का रास्ता खुला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजनीतिक पार्टियों और कैंडिडेट्स के लिए EVM की जांच कराने का एक रास्ता खुल गया। दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले किसी कैंडिडेट को शक है तो वो रिजल्ट घोषित होने के 7 दिन के अंदर शिकायत कर सकता है। शिकायत के बाद EVM बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स इसकी जांच करेंगे। किसी भी लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रवार की टोटल EVM में से 5% मशीनों की जांच हो सकेगी। इन 5 प्रतिशत EVM को शिकायत करने वाला प्रत्याशी या उसका प्रतिनिधि चुनेगा।
EVM की जांच का खर्च कौन उठाएगा ?
EVM की जांच का खर्च पहले कैंडिडेट को ही उठाना होगा। चुनाव आयोग ने बताया कि जांच की समय सीमा और खर्च को लेकर जल्द ही जानकारी शेयर की जाएगी। जांच के बाद अगर ये साबित होता है कि EVM से छेड़छाड़ हुई है तो शिकायतकर्ता कैंडिडेट को जांच का पूरा खर्च लौटाया जाएगा।
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