Saurabh Sharma Case Update: लोकायुक्त कोर्ट ने आरटीओ के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा, उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल को 17 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
अधिकारियों की टीम अदालत के पिछले रास्ते से तीनों आरोपियों को लेकर निकल गई। कोर्ट रूम में प्रवर्तन निदेशालय और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के वकील भी उपस्थित रहे। हालांकि उन्होंने तीनों आरोपियों की रिमांड नहीं मांगी।
हमीदिया अस्पताल कराया मेडिकल चेकअप
इससे पहले, मंगलवार सुबह लोकायुक्त की टीम सौरभ, चेतन और शरद को मेडिकल चेकअप के लिए हमीदिया अस्पताल लेकर गई। वहां से तीनों को दो अलग-अलग गाड़ियों में कोर्ट लाया गया। उन्हें पीछे के रास्ते से कोर्ट में दाखिल कराया गया। पेशी के बाद लोकायुक्त के अफसर भी उसी रास्ते से कोर्ट से बाहर निकले।
रिश्तेदारों को आरोपी बनाया जा सकता है
सौरभ के कर्मचारियों और रिश्तेदारों को भी आरोपी बनाया जा सकता है। सौरभ और चेतन को 28 जनवरी को लोकायुक्त ने कोर्ट में पेश कर छह दिन की रिमांड पर लिया था। जबकि 29 जनवरी को शरद को 5 दिन की रिमांड दी गई थी। आगे चलकर लोकायुक्त के मेमोरेंडम में सौरभ के अन्य कर्मचारियों, रिश्तेदारों और करीबी परिचितों को भी आरोपी बनाया जा सकता है।
इन सवालों के जवाब नहीं?
छापे के बाद सौरभ और उसकी पत्नी दिव्या तिवारी कहां थे?
सौरभ शर्मा इस पर अलग-अलग बयान दे रहा है। पहले कहा कि दुबई से वापस आने के बाद दिल्ली में रहा। फिर बताया कि उत्तराखंड के अलग-अलग शहरों में ठहरा था। पूर्व कांस्टेबल के ग्वालियर में रूकने की बात सामने आई थी, लेकिन सौरभ ने इस पर कुछ नहीं कहा।
कार से मिला 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये किसके हैं?
चेतन सिंह गौर का कहना है कि ये कार उसके नाम है, लेकिन इसे सौरभ शर्मा ने खरीदा है। गाड़ी की डाउन पेमेंट शर्मा ने दी है। बैंक की EMI भी सौरभ उसके बैंक खाते में ट्रांसफर करता था। वहीं, आरटीओ पूर्व कांस्टेबल का कहना है कि कार चेतन के नाम पर है। मुझे नहीं पता कि सोना और पैसा किसका है।
अविरल कंस्ट्रक्शन कंपनी के जरिए संपत्ति की खरीदारी में किसने रुपये दिए?
शरद जायसवाल और चेतन गौर ने खुद को सौरभ शर्मा का कर्मचारी बताया है। जायसवाल ने कहा कि वह सौरभ को 3 साल से जानता है। वह उसके साथ संपत्ति का काम करता था। इसी के चलते अविरल कंपनी में डायरेक्टर बनाया गया।
छापे में घर और ऑफिस से जब्त चांदी-नकदी और संपत्ति किसकी है?
सौरभ शर्मा का कहना है कि कार्रवाई के दौरान वह भोपाल में नहीं था। चेतन और शरद ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया है। शरद जायसवाल का कहना है कि उसके यहां लोकायुक्त पुलिस ने कार्रवाई नहीं की और प्रवर्तन निदेशायल को कुछ नहीं मिला।
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