Jabalpur Medical College Amazing Case: मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं कितनी चौपट हैं। इसका अंदाजा इस घटना से लगा सकते हैं कि जिंदा मरीज को ही मृत घोषित कर दिया जा रहा है। मामला प्रदेश के दूसरे सबसे पुराने सरकारी मेडिकल कॉलेज का है। जबलपुर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने एक जिंदा मरीज का डेथ सर्टिफिकेट बना दिया। बाद में जब मरीज की सांसे चलने लगीं तो परिजन घबराए और फिर अस्पताल पहुंचे और डॉक्टरों ने मरीज को फिर भर्ती कर लिया। इस मामले में 4 जूनियर डॉक्टरों का सस्पेंड कर दिया गया है।
4 डॉक्टर सस्पेंड
लापरवाही सामने आने के बाद प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए चार पीजी डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है। साथ ही मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा, सर्जरी विभाग की अध्यक्ष डॉ. दीप्तिबाला शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
डॉक्टरों ने बनाया डेथ सर्टिफिकेट, फिर मरीज की चलने लगी सांसे
घटना सोमवार 27 जनवरी की है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में हुई, जहां 67 वर्षीय इंद्रजीत शुक्ला को एक निजी अस्पताल से रेफर कर इलाज के लिए लाया गया था। गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें सर्जरी वार्ड के आईसीयू में भर्ती किया गया था। सोमवार को इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और डॉक्टरों ने डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया।
जब परिजन डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद इंद्रजीत को मर्चुरी ले जाने लगे, तभी अचानक उनकी सांसें फिर से चलने लगीं। परिवार के लोग घबराकर वापस अस्पताल लौटे और डॉक्टरों को बताया कि मरीज की सांसें चल रही हैं। इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को फिर से भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया।
मामला दबाने के लिए मरीज को वापस भेजने का दबाव बनाया
घटनाक्रम में डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है। जिसे छुपाने के लिए डॉक्टरों ने मरीज को उसी हालत में घर ले जाने का दबाव भी डाल, ताकि डेथ सर्टिफिकेट जारी करने का मामला दबा रहे। यह भी साफ़ दिखता है कि अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टरों की गलती को सही करने के बजाय, इस मामले को छुपाने की कोशिश की थी।
जांच के निर्देश, ये मानवीय भूल हो सकती है
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉक्टर अरविंद शर्मा ने बताया कि “ऐसा लगता है कि डॉक्टर से एक मानवीय गलती हो गई है और उन्होंने सही तरीके से परीक्षण किए बिना ही रिपोर्ट तैयार कर दी।” उन्होंने कहा, “मेडिकल कॉलेज अपनी गलती स्वीकार करता है और इंद्रजीत शुक्ला का इलाज फिर से शुरू कर दिया गया है। वे फिलहाल आईसीयू में भर्ती हैं और उनका इलाज जारी है।” डॉ. अरविंद शर्मा ने इस मामले की जांच के आदेश भी दिए हैं।
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क्या है घटनाक्रम
परिवारवाले जब स्ट्रेचर पर मर्चूरी ले जा रहे थे, तब कुछ ऐसा हुआ कि सब दंग रह गए। बुजुर्ग के बेटे और बहू ने देखा कि मरीज की सांसें चल रही हैं, जिससे उन्हें यह एहसास हुआ कि उनके पिता अभी जिंदा हैं। इसके बाद, वे तुरंत उन्हें लेकर वार्ड में लौट आए और डॉक्टरों को बताया कि जिन्हें मृत घोषित कर डेथ सर्टिफिकेट जारी किया गया था, वे अभी भी जिंदा हैं। इस घटना के बाद बुजुर्ग को फिर से वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। इस पूरे घटनाक्रम पर परिजनों ने मेडिकल कॉलेज की इलाज व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
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