Mauni Amavasya 2025: माघ महीने का सबसे खास दिन मौनी अमावस्या इस साल 29 जनवरी 2025 को आएगी। मौनी अमावस्या पर क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए, इस दिन शमशान घाट क्यों नहीं जाना चाहिए, जानें इस दिन का दान और महत्व।
जानते हैं मौनी अमावस्या क्यों नहीं जाना चाहिए शमशान घाट (Mauni Amavasya Shamshan Ghat kyon nahi jana chahiye) , क्या है इसके पीछे की मान्यता, इस दिन क्या दान (Mauni Amavasya Daan) करना चाहिए
मौनी अमावस्या 2025: तिथि और महत्व
इस साल मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 बुधवार को आएगी। इस बार की मौनी अमावस्या बेहद खास मानी जा रही हैं वो इसलिए क्योंकि इस बार महाकुंभ भी। जिसमें मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे।
मौनी अमावास्या पर शमशान घाट क्यों नहीं जाना चाहिए?
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें मौनी अमावस्या के दिन जरूर ध्यान में रखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन भूलकर भी शमशान घाट नहीं जाना चाहिए। वो इसलिए अमावस का दिन तंत्र साधना करने वालों के लिए बेहद खास होता है। इस पूजा के लिए शमशान घाट का भी उपयोग किया जाता है।
इसलिए यहां नहीं जाना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आप पर बुरी शक्तियां और आत्माएं प्रभाव डाल सकती है।
मौनी अमावस्या पर किन चीजों का दान करना चाहिए
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व होता है। यदि आप ऐसा नही कर पाते हैं तो आप घर के पानी में ही गंगा या नर्मदा का शुद्ध जल डालकर स्नान कर सकते हैं।
इसके बाद जरूरतमंदों को अपनी क्षमता अनुसार दान देना चाहिए।
मौनी अमावस्या पर दान करना सबसे शुभ और फलदायी माना जाता है।
इस दिन स्नान के बाद तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्त्र आदि दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
इस दिन जरूरतमंदों को कंबल, गर्म कपड़े दान देना चाहिए।
मौनी अमावस्या पर क्या दान करें?
हिन्दू धर्म में मौनी अमावस्या का बड़ा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya Daan) के दिन जितना हो सके मौन रहना चाहिए। मान्यता अनुसार इस दिन मौन व्रत रखने से मन संयमित रहता है। इस दिन विचारों में मलिनता न आने दें।
मान्यताअनुसार इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
अमावस्या तिथि के दिन गंगा में स्नान के बाद पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति और तृप्ति मिलती है।
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