76th Republic Day: गणतंत्र दिवस के अवसर पर आज देशभर में तिरंगा फहराया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं, राष्ट्रीय ध्वज कहां तैयार होता है? दरअसल, देश में ऐसे दो संस्थान हैं जहां उच्च मानक का राष्ट्रीय ध्वज तैयार होता है। एक संस्थान ग्वालियर का मध्य भारत खादी संघ है। यहां BIS (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) का ISI प्रमाणित भारतीय तिरंगा बनाया जाता है। वहीं दूसरा संस्थान कर्नाटक के बेंगिरी गांव में है।
9 मानकों से खरा उतर के बाद बनता है तिरंगा
झंडा बनाने की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं। कपास की कताई, बुनाई, डाई के साथ 9 मानकों पर खरा उतरने के बाद ही तिरंगा ध्वज का आकार लेता है। धागे से झंडा बनने की इस प्रक्रिया में कई कारीगरों और बुनकरों की कला के साथ ही 55 दिन की कड़ी मेहनत लगती है। आज दिल्ली के लाल किले में ग्वालियर का झंडा फहराया गया है।
दिन-रात की मेहनत के बाद बनता है झंडा
मध्य भारत खादी संघ की वर्कशॉप ग्वालियर के जीवाजी गंज में है। यहां स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस से कुछ महीनों पहले से कारीगर दिन-रात तिरंगा बनाने के काम में जुट जाते हैं। यहां देशभर से तिरंगा की मांग की पूर्ति की जाती है। देशभर में फहराए जाने वाले तिरंगा में से 40% ग्वालियर में बनाए जाते हैं। ग्वालियर से देश के 16 राज्यों में झंडा भेजा जाता है।
ग्वालियर में ऐसे बनता है तिरंगा
मध्य भारत खादी संघ की वर्कशॉप ग्वालियर में एक बड़े हॉल में 15-16 महिला और पुरुष कारीगर झंडा बनाते हैं। कोई झंडे की सिलाई करता है तो कोई उसको नाप ने का काम करता है। एक दिन में करीब 550 झंडे सिल लिए जाते हैं।
तीन साइज के झंडे बनाए जाते हैं
मध्य भारत खादी संघ में BIS (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) प्रमाणित तीन साइज के तिरंगे तैयार होते हैं। इनमें 2 बाय 3, 6 बाय 4, और 3 बाय 4.5 फीट के झंडे बनाए जाते हैं। राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए मानकों का ख्याल रखा जाता है। इसमें कपड़े की क्वालिटी, रंग और चक्र का साइज बहुत जरूरी होता है। खादी संघ में इन सभी मानकों का टेस्ट किया जाता है। इस साल 60 से 70 लाख रुपए के झंडे के ऑर्डर मिले थे।
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