रिपोर्ट: दिलजीत सिंह मान, रतलाम
Ratlam Tehsildar Corruption Case: रतलाम में तहसीलदार ऋषभ ठाकुर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए एक व्यक्ति ने कलेक्टर ऑफिस के मुख्य गेट की दीवार पर अपनी शिकायत चस्पा कर दी। यह मामला सामने आते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने तुरंत हरकत में आते हुए शिकायत को हटवा दिया और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।
शिकायतकर्ता ने लगाए गंभीर आरोप
खुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले शिकायतकर्ता नंदकिशोर चौहान ने तहसीलदार (Ratlam Tehsildar Corruption Case) पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और कॉलोनाइजर को फायदा पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि तहसीलदार ने 56 बीघा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर कॉलोनाइजर को लाभ पहुंचाने में मदद की है।
अनसुनी शिकायतों ने दिया विवाद को जन्म
होमगार्ड कॉलोनी के निवासी नंदकिशोर चौहान का कहना है कि उन्होंने इस मामले को लेकर कई बार अधिकारियों और जनसुनवाई में शिकायतें दर्ज करवाई थीं। उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, मुख्यमंत्री कार्यालय, उज्जैन कमिश्नर और अन्य उच्च अधिकारियों को भी शिकायत भेजी थी। बावजूद इसके, कोई कार्रवाई नहीं होने पर मजबूर होकर उन्होंने शिकायत को दीवार पर चस्पा करने का कदम उठाया।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई
गुरुवार रात इस मामले के सामने आने के बाद, तहसीलदार की शिकायत पर नंदकिशोर चौहान के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। प्रशासन ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए सख्ती से निपटने का संकेत दिया है। हालांकि, इस पूरे मामले पर कलेक्टर ने किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है।
शिकायत निवारण प्रणाली पर सवाल
इस घटना ने प्रशासनिक तंत्र और शिकायत निवारण प्रणाली की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नंदकिशोर चौहान का कहना है कि वे बार-बार शिकायतें और आवेदन देकर थक चुके थे, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा।
भ्रष्टाचार का मुद्दा बना चुनौती
तहसीलदार पर लगाए गए आरोप प्रशासन और न्यायिक तंत्र के लिए बड़ी चुनौती प्रस्तुत करते हैं। 56 बीघा सरकारी जमीन के अतिक्रमण और कॉलोनाइजर को लाभ पहुंचाने का मामला पारदर्शिता और विश्वास के मुद्दे को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा करता है।
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यह घटना प्रशासन और समाज के बीच संवादहीनता को उजागर करती है, जहां शिकायतकर्ता की आवाजें अनसुनी रह गईं और एक असामान्य कदम ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। प्रशासन के लिए यह मामला पारदर्शिता और विश्वास बहाल करने की बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है।
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