Maha kumbh Ram Stone: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे इस महाकुंभ को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उस्ताह देखने को मिल रहा है। इस महाकुंभ में 13 जनवरी से सोमवार 20 जनवरी की देर रात तक करीब 9 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान कर लिया है। तो वहीं एक पत्थर लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस पत्थर पर भगवान राम का नाम लिखा हुआ है, और ये पानी में तैर भी रहा है। महाकुंभ में आए देश भर से लोग इस पत्थर के दर्शन कर रहे हैं। नागा सन्यासी प्रयाग गिरी ने बताया कि यह पत्थर राम सेतु है, जो रामेश्वरम से आया है, यह राम का स्वरूप है। कुंभ में लोग इस पत्थर के दर्शन करने आ रहे हैं।
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 अपने आप में ही एक अलग माहोल बना रहा है। संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में कई तरह के ऐसे काम हैं जो की पहली बार हो रहे हैं। इसी कड़ी में इस महाकुंभ 2025 में एक पत्थर लोगों का ध्यान अपना ओर खींच रहा है और इस चमत्कारी पत्थर ने महाकुंभ में आए लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है और राम नाम के इस पत्थर के महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु इस पत्थर का दर्शन कर रहे हैं।
रामेश्वर से लाया गया है ये चमत्कारी पत्थर
इस पर अधिक जानकारी देते हुए नागा बाबा प्रयाग गिरी ने बताया कि यह राम नाम का पत्थर राम सेतु का है, जो कि तमिलनाडु के रामेश्वर से प्रयागराज के महाकुभ में लाया गया है। बाबा का मानना है कि इसका सीधा संबंध त्रेतायुग से है और भारी मात्रा में लोग इस पत्थर के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। पानी में तैरते इस पत्थर को देखकर लोग अपने आप को सीधे त्रेतायुग से जोड़ कर देख रहे हैं। यह पत्थर रामसेतु का ही एक हिस्सा है, मान्यता के अनुसार जब नल और नील ने लंका तक पुल बनाने के लिए पत्थरों का इस्तेमाल किया था, तो पत्थर पानी के उपरी सतह पर नहीं टिकता था पर जैसे ही प्रभु राम ने इस पत्थर को पानी में डाला तो वह तैरने लगा इसके बाद सभी पत्थरों को प्रभु राम से स्पर्श करवा कर समुद्र में डाला जाने लगा तो यह वही पत्थर है जिस पर भगवान राम के चरणों के निशान हैं।
क्या है राम सेतु पत्थर की कहानी
बताते चले कि जब लंका राज्य के राजा रावण ने जब वन में रह रही माता सीता का अपरहण कर अपने राज्य लंका में अशोक वाटिका के अंदर बंदी बनाकर रखा तो उस वक्त भगवान राम ने सीता को छुड़ाने और अपने पास वापस लाने के लिए समुद्र को पार किया था। उस वक्त समुद्र को पार करने के लिए समुद्र के उपर बांध बनाया गया था। बांध बनाने के लिए पत्थरों के उपर ‘राम’ लिखा गया था और इसी के सहारे समुद्र को पार कर लंका पर विजय पाई थी और रावण के चंगुल सीता को छुड़ाने का काम किया गया था।