Sagar University Registrar MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सागर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। डॉ हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को पूर्व आदेश का पालन नहीं करने पर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई 28 जनवरी को नियत की है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल सागर की यूथ फॉर इक्वालिटी नामक राजनीतिक पार्टी के सचिव, डॉ. गिरीश कुमार ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी। पिछली सुनवाई के दौरान ओबीसी के वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि डॉ. गिरीश कुमार केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। एक प्रोफेसर का पद संभालते हुए एक राजनैतिक दल का सचिव होना कदाचरण के अंतर्गत आता है। सागर विश्वविद्यालय केंद्र के कानून से संचालित है, ऐसे में वहां के प्रोफेसर को कैसे अनुमति दी जा सकती है।
डॉ. गिरीश कुमार द्वारा दायर की गई जनहित याचिका
सागर की राजनीतिक पार्टी यूथ फॉर इक्वालिटी के सचिव डॉ. गिरीश कुमार ने 27% ओबीसी आरक्षण को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी। पिछली सुनवाई के दौरान ओबीसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने आपत्ति जताई। उन्होंने बताया कि डॉ. गिरीश कुमार केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं, और एक राजनैतिक दल का सचिव होना कदाचरण की श्रेणी में आता है।
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रजिस्ट्रार को हाजिर होने के निर्देश
हाईकोर्ट ने सागर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, लेकिन सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि नोटिस तामील होने के बावजूद न तो रजिस्ट्रार की ओर से कोई जवाब आया और न ही कोई अधिवक्ता उपस्थित हुआ। अब एमपी हाईकोर्ट ने सागर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को अगली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
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