Digital Banking Scams: पिछले कुछ सालों में साइबर और बैंकिंग धोखाधड़ी तेजी से बढ़ रही है। अक्सर हम ऐसी घटनाओं के बारे में सुनते हैं जिनमें लोग धोखेबाजों द्वारा धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने फाइनेंशियल ईयर 2024 में बैंकिंग फ्राड के मामलों में वृद्धि पर एक रिपोर्ट जारी की। अप्रैल से सितंबर तक 18,461 धोखाधड़ी के मामले दर्ज किये गये, जिनमें कुल 21,367 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी शामिल थी।
यह पिछले साल की तुलना में बहुत अधिक है, जब केवल 14,480 मामले दर्ज किये गये थे और 2,623 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
क्या है बैंकिंग फ्रॉड?
बैंकिंग फ्रॉड में, घोटालेबाज लोगों की पर्सनल और फाइनेंशियल जानकारी चुराने का प्रयास करते हैं। स्कैमर्स ईमेल, मैसेज, फोन कॉल और फर्जी वेबसाइटों का उपयोग करके लोगों को धोखा देते हैं।
एक्सपर्ट घोटालेबाज लोगों की कमजोरियों और तकनीकी खामियों का फायदा उठाते हैं। वे सोशल इंजीनियरिंग, फ़िशिंग, मैलवेयर और नकली बैंकिंग ऐप जैसी तकनीकों का उपयोग करके धोखाधड़ी करते हैं।
कितने टाइप की होती है बैंकिंग फ्रॉड?
यहां हम आपको कुछ सामान्य बैंकिंग धोखाधड़ी के बारे में बताएंगे, जिनका इस्तेमाल आमतौर पर लोगों को धोखा देने के लिए किया जाता है। इनमें से पहला है आर्टिफ़िशियल आइडेंटिटी फ़्रॉड, जिसमें वास्तविक और नकली जानकारी को मिलाकर एक फर्जी पहचान बनाई जाती है।
इसके अलावा, फ़िशिंग और स्पीयर फ़िशिंग घोटाले के सबसे पॉपुलर तरीके हैं, जिसमें नकली ईमेल या संदेशों के माध्यम से संवेदनशील जानकारी प्राप्त की जाती है। इस सूची में मोबाइल बैंकिंग धोखाधड़ी भी शामिल है, जिसमें 2FA को बायपास करने के लिए फोन नंबरों को हाईजैक कर लिया जाता है।
स्कैमर्स इस डिवाइस का उपयोग एटीएम स्कीमिंग और कार्ड क्लोनिंग के माध्यम से एटीएम डेटा चुराने के लिए करते हैं। घोटालेबाज फर्जी लोन धोखाधड़ी के जरिए भी लोगों को फंसाते हैं, जिसमें वे लोन मुहैया कराने के नाम पर लोगों को धोखा देने की कोशिश करते हैं।
बैंकिंग धोखाधड़ी से कैसे बचें?
- सरकारी स्कीम और ऑफरों की जानकारी केवल आधिकारिक वेबसाइट पर ही प्राप्त करें।
- अननोन लिंक पर क्लिक न करें।
- और संदिग्ध लोगों को पैसा न भेजें।
- हमेशा बैंक स्टेटमेंट और लेनदेन इतिहास की जांच करें।
- अपना ओटीपी, पिन और बैंक डिटेल किसी के साथ शेयर न करें।
- किसी भी धोखाधड़ी की सूचना तुरंत बैंक और साइबर क्राइम पोर्टल पर दें।
UP Kidney Fraud: मेरठ में 6 डॉक्टरों पर अवैध रूप से किडनी निकालने पर FIR दर्ज, 6 साल पहले निकाली थी महिला की किडनी!
यूपी के 6 डॉक्टरों पर किडनी निकालने का आरोप लगा। दरअसल मामला मेरठ का है जहां 6 डॉक्टरों के खिलाफ किडनी निकालने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई। एसीजेएम तृतीय की कोर्ट के आदेश पर नरसेना थाने में शुक्रवार को एफआईआर दर्ज कराई थी।
बुलंदशहर की कविता देवी 43 ने मई 2017 में खराब स्वास्थ्य के चलते का केएमसी अस्पताल में इलाज कराया था। महिला के मुताबिक डॉ सुनील गुप्ता ने उसे सर्जरी कराने की सलाह दी थी। कहा था कि इंटरनल ऑर्गन की सर्जरी करने से उनका स्वास्थ्य बेहतर हो जाएगा। महिला ने बताया कि सर्जरी के बाद मुझे यह कह कर डिस्चार्ज कर दिया गया कि मेरी दोनों किडनी स्वस्थ हैं। यह भी पढ़ें