Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ का श्रृंगार है। यहां सेक्टर-20 में मौजूद सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़े हैं। महाकुंभ नगर में जन आस्था के केंद्र इन अखाड़ों के नागा संन्यासियों की फौज में नई भर्ती का सिलसिला शुरू हो गया है। गंगा के तट पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अवधूतों को नागा दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई। संन्यासी अखाड़ों में सबसे ज्यादा नागा संन्यासियों वाला अखाड़ा है श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा। इसमें निरंतर नागाओं की संख्या बढ़ती जा रही है जिसके विस्तार की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हो गई।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के 1500 अवधूत बने नागा संन्यासी
भगवान शिव के दिगम्बर भक्त नागा सन्यासी महाकुम्भ में सबका ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं और यही वजह है शायद कि महाकुंभ में सबसे ज्यादा जन आस्था का सैलाब जूना अखाड़े के शिविर में दिखता है। अखाड़ों की छावनी की जगह सेक्टर 20 में गंगा का तट इन नागा संन्यासियों की उस परम्परा का साक्षी बना जिसका इंतजार हर 12 साल में अखाड़ों के अवधूत करते हैं।
नागा संन्यासियों में जूना अखाड़ा सबसे आगे
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय मंत्री महंत चैतन्य पुरी ने बताया कि शनिवार को नागा दीक्षा की शुरुआत हो गई है। पहले चरण में 1500 से ज्यादा अवधूतों को नागा संन्यासी की दीक्षा दी जा रही है। नागा संन्यासियों की संख्या में जूना अखाड़ा सबसे आगे है जिसमें अभी 5 लाख 30 हजार से ज्यादा नागा संन्यासी हैं।
महाकुंभ और नागा संन्यासियों का दीक्षा कनेक्शन
नागा संन्यासियों केवल कुंभ में बनते हैं, वहीं उनकी दीक्षा होती है। सबसे पहले साधक को ब्रह्मचारी के रूप में रहना पड़ता है। उन्हें 3 साल गुरुओं की सेवा करने और धर्म-कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है। इसी अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। अगर अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरू यह निश्चित कर ले कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है तो फिर उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है। ये प्रकिया महाकुंभ में होती है, जहां ब्रह्मचारी से उसे महापुरुष और फिर अवधूत बनाया जाता है।
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खुद का पिंडदान करते हैं नागा संन्यासी
महाकुम्भ में गंगा किनारे नागा संन्यासियों का मुंडन कराने के साथ उन्हें 108 बार महाकुम्भ की गंगा में डुबकी लगवाई जाती है। अंतिम प्रक्रिया में उनका स्वयं का पिण्डदान और दण्डी संस्कार आदि शामिल होता है। अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर उन्हें नागा दीक्षा देते हैं। प्रयाग के महाकुम्भ में दीक्षा लेने वालों को राज राजेश्वरी नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी और नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है। इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी ये पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है।
भारत कहें, India नहीं अभियान: एक राष्ट्र-एक नाम के बारे में आचार्य विद्यासागर महाराज के विचारों पर 1 फरवरी को संगोष्ठी
Ek Rashtra Ek Naam Mahakumbh: संगम नगरी प्रयागराज में आचार्य विद्यासागर के विचारों और उनके ज्ञान का महाकुंभ होने जा रहा है। इसमें खास तौर पर उनके एक देश एक नाम और भाषा पर विचारों पर आधारित संगोष्ठी होगी। इसमें आचार्य विद्यासागर महाराज के भारत को भारत कहें, इंडिया नहीं विचार को आधार बनाकर एक राष्ट्र एक नाम अभियान चलाया जाएगा। प्रयागराज में यह संगोष्ठी शिक्षक सन्दर्भ समूह 1 फरवरी को आयोजित होगी। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें…