Ujjain Mahakaleshwar Mandir Adhiniyam Change: महाकाल मंदिर में हाल की घटनाओं, जैसे आग लगने से सेवक की मौत, दर्शन के नाम पर ठगी और अन्य विवादों के कारण मंदिर की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अब इन व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिए महाकाल मंदिर का 43 साल पुराना अधिनियम बदलने की योजना बनाई जा रही है। इस प्रक्रिया को अगले एक-दो महीनों में लागू किया जा सकता है।
सोमनाथ मंदिर के तर्ज पर बनेंगे नियम
इस बदलाव के तहत मंदिर के कई नियमों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकते हैं, जिनमें मंदिर समिति में कर्मचारियों की नियुक्ति, प्रशासक की भूमिका और दर्शन व्यवस्था को नए तरीके से निर्धारित किया जा सकता है। महाकाल मंदिर के अधिनियम को गुजरात के सोमनाथ ट्रस्ट के अधिनियम के समान बनाने की योजना है।
2 महीने में लागू हो सकता है नया एक्ट
उज्जैन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने अधिनियम में संशोधन का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे अगले दो महीनों में लागू किया जा सकता है। इस संशोधित अधिनियम के तहत मंदिर प्रबंधन, दर्शन व्यवस्था और मंदिर समिति की संरचना में कई बदलाव होंगे। इस प्रक्रिया को गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के मॉडल के आधार पर तैयार किया जा रहा है।
नई व्यवस्था में रिटार्यड IAS को अहम जिम्मेदारी
वर्तमान में मंदिर समिति का अध्यक्ष जिला कलेक्टर होता है, लेकिन नई व्यवस्था में अध्यक्ष पद की संरचना में बदलाव किया जा सकता है। इसके अलावा, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी को मंदिर का प्रशासक बनाए जाने पर चर्चा चल रही है,
ड्राफ्ट तैयार हुआ
उज्जैन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के संचालक और उज्जैन संभाग के कमिशनर संजय गुप्ता ने बताया, “अधिनियम में बदलाव पर सहमति बन चुकी है। ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है और सुझावों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई गई है। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य महाकाल मंदिर की छवि सुधारना और उज्जैन के सभी मंदिरों के विकास और प्रबंधन को एक नई दिशा देना है।
ये नियम बदलेंगे
- दर्शन और सुरक्षा व्यवस्थाओं में सुधार
भीड़ प्रबंधन को सरल बनाने के लिए श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नए मार्ग तैयार किए जा सकते हैं। सोमनाथ मंदिर के मॉडल का पालन करते हुए दर्शन व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। - इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार की संभावनाएं
मंदिर के बुनियादी ढांचे में सुधार किया जाएगा और इसे रोजगार के अवसरों से जोड़ा जाएगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिए नई रोजगार संभावनाएं उत्पन्न होंगी। - कर्मचारी नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव
मंदिर के कर्मचारियों की नियुक्ति के नियमों में भी बदलाव होगा। समिति में धार्मिक मामलों के विशेषज्ञ और बुद्धिजीवियों को शामिल किया जाएगा, जो मंदिर की गरिमा और परंपरा को बनाए रखेंगे।