Bhopal Fracture Hospital MP High Court: भोपाल की अरेरा कॉलोनी स्थित फ्रैक्चर अस्पताल के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में आरोप है कि अस्पताल के मालिकों ने आवासीय निर्माण की अनुमति लेकर वहां कॉमर्शियल अस्पताल बना दिया। यह याचिका शिवसेना के प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेंद्र बारी ने दायर की है। मामले की सुनवाई 16 जनवरी को चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ की डिवीजन बेंच द्वारा की जाएगी।
अस्पताल के मालिकों पर आरोप
आरटीआई एक्टिविस्ट प्रशांत वैश्य ने इस मामले में हस्तक्षेप आवेदन दायर करते हुए अस्पताल को गिराने योग्य बताया है। उनका कहना है कि अस्पताल का निर्माण नियमों के उल्लंघन और अनियमितताओं के आधार पर किया गया है। अस्पताल के मालिकों, डॉ. शशांक अग्रवाल, डॉ. कमलेश कुमार वर्मा, और डॉ. संदीप शर्मा पर नियमों का उल्लंघन करते हुए अनियमित निर्माण करने के गंभीर आरोप लगे हैं।
आवासीय अनुमति पर बना कॉमर्शियल अस्पताल
भोपाल की अरेरा कॉलोनी स्थित फ्रैक्चर अस्पताल के खिलाफ आवासीय निर्माण की अनुमति पर चार मंजिला कॉमर्शियल अस्पताल बनाने को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने मामले की शीघ्र सुनवाई के लिए मेंशन मेमो दायर किया, जिसके बाद सुनवाई की तारीख 16 जनवरी निर्धारित की गई है।
अस्पताल को गिराने की मांग
शिवसेना के प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेंद्र बारी द्वारा दायर जनहित याचिका में आरटीआई एक्टिविस्ट प्रशांत वैश्य ने हस्तक्षेप आवेदन दायर कर अस्पताल को नियमों के उल्लंघन के चलते गिराने योग्य घोषित करने की मांग की है।
भवन निर्माण में गंभीर अनियमितताएं
- अस्पताल वाली सड़क की चौड़ाई 40 फीट से कम है।
- भवन में अनुमत तल क्षेत्र अनुपात और भू-आच्छादित क्षेत्र (ग्राउंड कवरेज) से अधिक निर्माण किया गया है।
- न्यूनतम खुला क्षेत्र (एमओएस) और पार्किंग की व्यवस्था नहीं है।
- पार्किंग के अभाव में सड़क पर वाहन खड़े होते हैं, जिससे यातायात बाधित होता है।
अवैध निर्माण और अनुमति का मुद्दा
याचिका में दावा किया गया है कि अस्पताल का निर्माण स्वीकृत नक्शे के अनुसार नहीं हुआ है। नगर निगम से पूर्णता प्रमाणपत्र न मिलने के बावजूद, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने अस्पताल संचालन के लिए पंजीयन जारी कर दिया, जिसे रद्द किया जाना चाहिए।
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सुरक्षा और नियमों की अनदेखी:
- अग्नि सुरक्षा और पार्किंग के नियमों का उल्लंघन किया गया है।
- भवन का 30% से अधिक हिस्सा अवैध निर्माण के दायरे में आता है, जिसे वैध नहीं किया जा सकता।
- भवन का ढांचा ऐसा है कि आंशिक तोड़फोड़ संभव नहीं है; पूरा भवन गिराना पड़ेगा