Mahasamund Mini High Mast Light Corruption: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की ग्राम पंचायतों में मिनी हाईमास्ट लाइट लगाने के नाम पर हुए भ्रष्टाचार का मामला अब सुर्खियों में है। इन लाइटों को लगाने का उद्देश्य था ग्राम पंचायतों को रोशन करना, लेकिन इस काम में जमकर भ्रष्टाचार हुआ।
लाइटों को लगाने में खर्च हुए हजारों रुपये का भुगतान लाखों में किया गया और फिर भी इन लाइटों से मिली रोशनी ग्रामीणों को नसीब नहीं हुई। यह मामला भ्रष्टाचार की गहरी परतों को उजागर करता है, जिसमें लाखों रुपये के घोटाले के संकेत मिलते हैं।
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एक खंभे पर लगने वाली लाइट का बिल र 1 लाख से अधिक
महासमुंद के खल्लारी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में मिनी हाईमास्ट लाइटें लगाई गई थीं। यदि हम इन लाइटों को देखें, तो ये छोटे पोल और उन पर लगी लाइटें ही दिखती हैं, जिनकी लागत बहुत कम होनी चाहिए। लेकिन वास्तव में, इनकी कीमत हजारों में नहीं, बल्कि लाखों में बन रही थी।
एक खंभे पर लगने वाली LED लाइट का बिल 1 लाख 8 हजार रुपये से लेकर 1 लाख 25 हजार रुपये तक बनाया गया, जो एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि आखिर यह राशि कैसे बढ़ाई गई और किसने इसे मंजूरी दी।
ग्राम पंचायत सम्हर में 23 खंभों पर LED लाइटें लगाने का खर्च 25 लाख
सिर्फ महासमुंद जिले की एक ग्राम पंचायत, सम्हर, की बात करें तो वहां 23 खंभों पर LED लाइटें लगाई गईं, जिसके लिए 25 लाख रुपये का भुगतान किया गया। यह रकम किसी छोटे खर्चे का उदाहरण नहीं है, बल्कि एक बड़े घोटाले का इशारा करती है।
भुरकोनी के सरपंच ने बताया- 5 लाख में 27 लाइटें लगाई जा रही
ग्राम पंचायत भुरकोनी के सरपंच दिनेश अग्रवाल ने भी इस मामले में खुलासा किया कि लाइटों की लागत क्या थी और किस प्रकार का भुगतान हुआ। उन्होंने बताया कि 5 लाख में 27 लाइटें लगाई जा रही हैं। जिसमें एक पोल का खर्च करीब 18 हजार रुपये आएगा। उन्होंने बताया कि अभी 10 लाइट लग चुकी हैं और बाकी लाइटें भी लगाई जा रही हैं।
ग्राम पंचायत नवागांव कला के ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में हाई मास्क लाइटें तो लगी हैं, लेकिन वे जलती ही नहीं। इसका मतलब यह है कि लाखों रुपये का खर्च करने के बाद भी, इन लाइटों से कोई फायदा नहीं हो रहा है और ये केवल भ्रष्टाचार का प्रतीक बन कर रह गई हैं।
कलेक्टर ने जांच की कही बात
महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने इस पूरे मामले पर गंभीरता से संज्ञान लिया है और उन्होंने ग्राम पंचायतों में लगाई गई लाइटों की जांच की बात कही है। उनका कहना है कि इस मामले की पूरी जांच की जाएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि भ्रष्टाचार की यह परत कितनी गहरी है। ग्राम पंचायतों में लाइटें तो लगाई गईं, लेकिन इनसे गांवों को रोशनी नहीं मिली, बल्कि लाइटों की आड़ में घोटालेबाजों के घर जरूर रोशन हो गए। अब यह देखना है कि अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद इस घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है और किस हद तक इस भ्रष्टाचार को उजागर किया जाता है।
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