CG Naxal Attack: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में आईईडी ब्लास्ट में शहीद 8 जवान समेत एक ड्राइवर को श्रद्धांजलि दी गई। सीएम विष्णुदेव साय आज दंतेवाड़ा पहुंचे हैं। जहां शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान गृहमंत्री विजय शर्मा भी मौजूद रहे।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) January 7, 2025
सीएम साय ने कहा कि नक्सली विचलित होकर कायराना हरकत (CG Naxal Attack) कर रहे हैं। बीजापुर की यह घटना दुखद है। दंतेवाड़ा में सुबह 10.50 बजे से 11.30 बजे तक पुलिस लाइन में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। जहां शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
नक्सलियों ने अंतिम संस्कार से रोका
दंतेवाड़ा से बड़ा इनपुट सामने आया है। जहां डीआरजी के जवान बुधराम का नक्सलियों ने अपने गांव में अंतिम संस्कार नहीं होने दयिा। वह पहले नक्सली था। इसके बाद उसने खुद को सरेंडर कर दिया था, इसके बाद उसकी भर्ती डीआरजी में की गई थी। जवान बुधराम कोरसा ग्राम बड़े तुंगाली का रहने वाला था। यह गांव नक्सल प्रभावित है। उसके गांव में अंतिम संस्कार से रोकने पर उसका बड़देला में अंतिम संस्कार किया गया।
बीजापुर में नक्सली हमले में 8 जवान, एक ड्राइवर शहीद
6 जनवरी 2025 को बीजापुर (CG Naxal Attack) के कुटरू थाना अंबेली गांव में नक्सलियों ने बड़ी कायराना हरकत की। नक्सली हमले में 8 जवान और 1 ड्राइवर शहीद हो गए। ये सभी दंतेवाड़ा के डीआरजी जवान अबूझमाड़ से सर्चिंग कर लौट रहे थे। इस दौरान 9 गाड़ियों का काफिला एक साथ चल रहा था। 7 गाड़ियां निकल गई थीं, 8वीं गाड़ी में ब्लास्ट हुआ।
डीआरजी के ये जवान हुए शहीद
कोरसा बुधराम
सोमडू वेंटिल
दुम्मा मड़काम
बमन सोढ़ी
हरीश कोर्राम
पण्डरू पोयम
सुदर्शन वेटी
सुभरनाथ यादव
एक ड्राइवर
कौन होते हैं DRG जवान ?
DRG यानी डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (CG Naxal Attack) के नाम से इनको जाना जाता है। इसका गठन 2008 में किया गया था। DRG के गठन के बाद यह नक्सलियों का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया। इस पुलिस फोर्स का गठन सबसे पहले नारायणपुर जिले में हुआ था। इसमें आखिरी भर्ती 2013 में सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर में की गई थी। फिलहाल डीआरजी में करीब 2 हजार जवान हैं। डीआरजी (CG Naxal Attack) में लोकल लोगों को भर्ती किया जाता है। जिनको भाषा, बोली और जंगल के बारे जानकारी रहती है। डीआरजी में सरेंडर करने वाले नक्सली भी शामिल रहते हैं। ये जवान गुरिल्ला लड़ाई में माहिर होते हैं। डीआरजी जवान छोटे-छोटे समूह में रहकर ऑपरेशन को अंजाम देते हैं।
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इसलिए अंबेली गांव के ग्रामीणों ने उठाए हथियार
बताया जाता है कि अंबेली गांव के लोग लाल आतंक (CG Naxal Attack) से परेशान हो गए थे। इसके विरोध में 4 जून 2004 को ग्रामीणों ने हथियार उठा लिए। लाल आतंक से परेशान ग्रामीण 2 नक्सलियों को पकड़कर थाने ले गए थे। जहां ग्रामीणों ने पुलिस से कहा तुम सजा दोगे या हम निपटा दें। इस घटना के बाद स्वस्फूर्त आंदोलन सलवा जुडूम की शुरुआत हुई। जो कि नक्सलवाद के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन था। अब इसी गांव में नक्सलियों ने IED ब्लास्ट किया है।
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