Pandit Pradeep Mishra Statement: रायपुर में कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने क्रिसमस के अवसर पर एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि बच्चों को लाल रंग की ड्रेस और टोपी पहनाकर उन्हें जोकर न बनाएं, जिससे उनकी हंसी उड़ सके।
उन्होंने यह भी कहा कि अपनी धार्मिक पहचान छोड़कर किसी दूसरे धर्म की परंपराओं को न अपनाएं और जूठन न खाएं। अपने बच्चों को यदि कपड़े पहनाना है, तो वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप और झांसी की रानी के जैसे परिधान पहनाएं।
हमें अपने धर्म से जुड़ा रहना चाहिए: मिश्रा
पं. प्रदीप मिश्रा ने सनातन धर्म को मजबूती से पालन करने की अपील की और कहा कि हमें अपने धर्म से जुड़ा रहना चाहिए, न कि अन्य धर्मों की चमक-धमक देखकर उसे छोड़ देना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गुरु नानक देव जी ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने बाल बढ़ाए और जटा बांधी थी, जो यह दर्शाता है कि धर्म और सनातन धर्म की रक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।
’31 को शराब की बोतलें, चैत्र मास में खुलता है गंगाजल’
पं. मिश्रा ने यह भी कहा कि लोग 31 दिसंबर को नए साल का जश्न मना रहे हैं, लेकिन यह सिर्फ कैलेंडर का बदलाव है, कोई वास्तविक परिवर्तन नहीं है। भारतीय नववर्ष, जो चैत्र मास में आता है, तब ही सच में बदलाव और नया उत्साह महसूस होता है।
उन्होंने यह तुलना करते हुए कहा कि जहां 31 तारीख को शराब की बोतलें खुलती हैं, वहीं चैत्र मास के नए वर्ष में गंगाजल खुलता है और लोग मंदिरों में मिलते हैं।
शराब की दुकानों पर नहीं, शिव मंदिर जाएं: मिश्रा
पं. प्रदीप मिश्रा ने सनातन धर्मियों से अपील की कि यदि वे 31 दिसंबर मना रहे हैं तो वह शराब की दुकानों पर न जाएं, बल्कि शिव मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थल जैसे कुबरेश्वर धाम और महाकाल की भूमि पर जाएं और भगवान शिव की शरण में नया साल मनाएं।
बता दें कि रायपुर के सेजबहार में 24 से 30 दिसंबर शिव महा-पुराण कथा का आयोजन किया गया है। बुधवार को पं. प्रदीप मिश्रा की कथा का दूसरा दिन है।
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