रिपोर्ट: श्याम चौहान, जशपुर
CG Jashpur Kunkuri Church: पूरे वर्ल्ड में क्रिसमस पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह है। लोग इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस खास दिन 25 दिसंबर को लोग गिरिजाघरों में जाकर प्रेयर करते हैं, और जश्न मनाते हैं। वैसे तो देशभर में कई चर्च हैं, लेकिन जशपुर के कुनकुरी चर्च की बात ही कुछ अलग है। इस चर्च को 17 साल में तैयार किया गया था। इसकी अलग ही खासियत है, इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
सीएम विष्णुदेव साय के विधानसभा कुनकुरी में स्थित ये चर्च है। यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है। जिसे रोजरी की महारानी महागिरजाघर (CG Jashpur Kunkuri Church) के नाम से फैमस है, जो अपनी खासियत को लेकर विश्वभर में जाना जाता है। इस चर्च को 17 साल लगे थे तैयार करने में। इसकी खासियत यह है कि गिरजाघर में 7 छत है और 7 ही दरवाजे हैं। यहां एक साथ 10 हजार लोग बैठ सकते हैं। यहां प्रभु ईशु के जन्मदिन को मनाने के लिए विशेष तैयारियां की गई है।
एक साथ 10 हजार लोगों के बैठने की क्षमता
छत्तीसगढ़ में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च (CG Jashpur Kunkuri Church) कुनकुरी है। प्रदेश में ये चर्च 17 साल में बनकर तैयार हुआ है। गिरजाघर में 7 नंबर का विशेष महत्व है। चर्च में 7 छत और 7 ही दरवाजे हैं। वहीं एक साथ 10 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है। प्रभू ईशु के जन्मदिन को खास रूप से मनाने के लिए, इस चर्च में विशेष तैयारी की जा रही है। क्रिसमस पर केक काट कर सभी जश्न मनाते हैं। इसके लिए यह चर्च बेहद ही खास रहता है, यहां सभी लोग इकट्ठा होकर कैंडल जलाकर प्रार्थना करते हैं।
चर्च में उमड़ेगी दर्शकों की भीड़
क्रिसमस की तैयारियां और सजावट पूरी हो गई है। कुनकुरी (CG Jashpur Kunkuri Church) के महागिरजाघर को रोशनी से सजाया गया है। जिसकी रंगत देखते ही बनती है। बहराल पूरे प्रदेश के साथ कुनकुरी में क्रिसमस की धूम मची हुई है। मसीही समाज के लोग अपने सबसे बड़े पर्व को लेकर उत्साहित हैं। और वे अपने प्रभु ईशु के वेलकम के लिए आतुर हैं।
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7 नंबर का विशेष महत्व है
जशपुर जिले के कुनकुरी के चर्च (CG Jashpur Kunkuri Church) को एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च होने का गौरव तो प्राप्त है, इसके अलावा इस चर्च की एक और विशेषता है, जो अपने आप में अलग है। इस महागिरजाघर में 7 अंक का विशेष महत्व है. इस चर्च में 7 छत और 7 दरवाजे हैं जो एक ही बीम पर टीका हुआ है। इस चर्च की नींव वर्ष 1962 में रखी गई थी।
जब इस चर्च को बनाया गया था उस समय कुनकुरी धर्मप्रांत के बिशप स्टानिसलास लकड़ा थे। इस विशालकाय चर्च वाले भवन को एक ही बीम के सहारे खड़ा करने के लिए नींव को विशेष रूप से डिजाइन (CG Jashpur Kunkuri Church) किया गया था। सिर्फ इसी काम में दो साल लग गए थे। नींव तैयार होने के बाद भवन का निर्माण 13 सालों में पूरा हुआ।
कहा जाता है कि उस वक्त ये चर्च जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ था, लेकिन समय के साथ सब बदलता गया। अब जिस जगह पर चर्च है वह क्षेत्र शहर के रूप में विकसित हो चुका है। बता दें कि कुनकुरी से 11 किलोमीटर दूर गिनाबाहर में सन 1917 में इलाके का सबसे पहला चर्च था. उस समय कुनकुरी एक छोटा सा गांव था। इसके बाद यहां लोयोला स्कूल और होलीक्रॉस अस्पताल की स्थापना हुई थी। चर्च बनने के बाद ही कुनकुरी एक शहर के तौर पर विकसित हुआ है।
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एक बिम के सहारे टिकीं सात छत
इस एशिया (CG Jashpur Kunkuri Church) के दूसरे सबसे बड़े चर्च की बात करें तो इसकी विशेषता सात नंबर से ही मानी जाती है। जिस तरह से सप्ताह में सात दिन होते हैं, सातवां दिन दिन भगवान का होता है। इसी को आधार मानकर इस चर्च को तैयार किया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी सात छत मात्र एक बीम पर खड़ी हुई है। एक बीम पर सात खंभे जरूर हैं। जिसके सहारे यह चर्च की सात छत टिकी हुई है।