MP Corruption Case: मध्य प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार और घूसखोरी के मामलों में अभियोजन स्वीकृति के लिए महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब ऐसे मामलों में अभियोजन की सहमति या असहमति तीन महीने के भीतर देना अनिवार्य होगा। साथ ही, हर मामले में विधि विभाग का अभिमत लेना भी आवश्यक कर दिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने सोमवार रात इस संबंध में आदेश जारी किए।
मुख्य बदलाव और प्रावधान
नियुक्तिकर्ता अधिकारी को अधिकार:
अब भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन स्वीकृति सीधे नियुक्तिकर्ता अधिकारी द्वारा दी जा सकेगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी पंचायत सचिव के खिलाफ प्रकरण दर्ज होता है, तो जिला पंचायत के सीईओ अभियोजन की स्वीकृति या अस्वीकृति दे सकेंगे। इसके लिए विभाग की सहमति की आवश्यकता नहीं होगी। बता दें, पहले की व्यवस्था थी कि हर प्रकरण में विभाग की सहमति जरूरी होती थी, जिससे सभी छोटे-बड़े मामले सरकार तक पहुंचते थे।
विधि विभाग का अभिमत अनिवार्य:
हर मामले (MP Corruption Case) में विधि विभाग की राय लेना अब जरूरी होगा। यदि नियुक्तिकर्ता अधिकारी अभियोजन स्वीकृति से असहमत हैं, तो मामला विधि विभाग को भेजा जाएगा। इसके बाद विधि विभाग अपनी सिफारिश संबंधित विभाग को देगा।
कैबिनेट के लिए समय सीमा:
यदि नियुक्तिकर्ता अधिकारी और विभाग किसी निर्णय पर सहमत नहीं होते, तो मामला कैबिनेट को भेजा जाएगा। कैबिनेट को अब 45 दिनों के भीतर निर्णय लेना होगा। पूरी प्रक्रिया के लिए कुल 90 दिनों की सीमा तय की गई है।
पहले की व्यवस्था: कैबिनेट में निर्णय लेने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं थी।
निजी परिवाद पर सुनवाई:
यदि किसी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ निजी परिवाद दायर होता है, तो संबंधित पक्ष को सुनवाई का मौका देना अनिवार्य होगा। सुनवाई के बाद प्रकरण को तीन महीने के भीतर निपटाना होगा।
भ्रष्टाचार मामलों में तेजी का प्रयास
इन नए प्रावधानों का उद्देश्य भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाना है। अब तक अभियोजन स्वीकृति में देरी के कारण कई मामलों में दोषी अधिकारी कानूनी कार्रवाई से बच निकलते थे।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि विधि विभाग की राय को अनिवार्य करना और समय सीमा तय करना पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। हालांकि, यह भी देखा जाना जरूरी होगा कि प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाए।
मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम प्रशासनिक सुधार और भ्रष्टाचार (MP Corruption Case) पर प्रभावी रोकथाम की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह न केवल भ्रष्टाचार के मामलों में तेजी लाएगा, बल्कि जवाबदेही भी तय करेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ये बदलाव वास्तविक धरातल पर कैसे लागू होते हैं।
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