Cancer Vaccine: दुनिया में कैंसर की पहली वैक्सीन बन गई है। रूस ने कैंसर वैक्सीन बनाने में सफलता पाई है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये जानकारी दी। पुतिन सरकार ने कहा कि ये सदी की सबसे बड़ी खोज है। पुतिन सरकार 2025 से रूसी नागरिकों को कैंसर की वैक्सीन फ्री में लगाएगी।
ट्यूमर को रोकेगी वैक्सीन
रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के निदेशक आंद्रेई कप्रीन ने बताया कि रूस ने कैंसर से लड़ने के लिए अपनी mRNA वैक्सीन बना ली है। रूस की इस खोज को सदी की सबसे बड़ी खोज माना जा रहा है। वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में पता चला कि ये कैंसर ट्यूमर को बढ़ने से रोकेगी।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दी थी जानकारी
2024 की शुरुआत में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया था कि रूस कैंसर वैक्सीन बनाने के बेहद करीब है। जल्द ही वैक्सीन तैयार कर ली जाएगी।
कैंसर की पहली वैक्सीन
mRNA या मैसेंजर-RNA इंसानों के जेनेटिक कोड का एक छोटा हिस्सा है, जो हमारी कोशिकाओं में प्रोटीन बनाने में मदद करता है। इसे आसान तरीके से समझें तो जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है, तो mRNA तकनीक हमारी कोशिकाओं को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का संदेश भेजती है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जरूरी प्रोटीन मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि पारंपरिक वैक्सीन की तुलना में जल्दी तैयार हो सकती है। इसके अलावा ये शरीर की इम्यूनिटी को भी मजबूत करती है। mRNA तकनीक पर बनी ये कैंसर की पहली वैक्सीन है।
कैंसर पेशेंट को लगेगा टीका
कैंसर वैक्सीन स्पेशलिस्ट डॉ. मौरी मार्कमैन का कहना है कि कैंसर के लिए वैक्सीन बनाना बायोलॉजिकल तरीके से संभव नहीं है। कैंसर कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि ये शरीर में कई अलग-अलग स्थितियों का परिणाम है। हालांकि, कुछ कैंसरों की रोकथाम में वैक्सीन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये वैक्सीन कैंसर के मरीजों को इलाज के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक उपकरण हैं, क्योंकि कैंसर के मरीजों को इलाज के दौरान अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कैंसर वैक्सीन की एक खासियत ये है कि इसे कभी भी कैंसर होने से पहले नहीं दिया जाता, बल्कि ये उन लोगों को दी जाती है जिनमें कैंसर ट्यूमर है। ये वैक्सीन हमारे इम्यून सिस्टम को ये समझने में मदद करती है कि कैंसर कोशिकाएं कैसी होती हैं।
मुश्किल क्यों है कैंसर की वैक्सीन बनाना
कैंसर की सेल्स ऐसे मॉलिक्यूल से बनते हैं जो इम्यून सेल्स को दबा देते हैं। अगर कोई वैक्सीन इम्यून सेल्स को एक्टिव कर भी दे तो हो सकता है वो इम्यून सेल्स ट्यूमर के अंदर एंट्री ना कर पाए। कैंसर की सेल्स सामान्य सेल्स की तरह होती हैं और इस वजह से हमारे इम्यून सिस्टम को ये उतनी खतरनाक नहीं लगतीं। इससे इम्यून सिस्टम ये पता नहीं कर पाता कि किस पर अटैक करना है। अगर कैंसर का एंटीजन सामान्य और असामान्य सेल्स दोनों पर मौजूद होता है तो वैक्सीन दोनों पर हमला करती हैं। इससे शरीर को बहुत नुकसान होता है। कई बार कैंसर ट्यूमर इतना बड़ा होता है कि इम्यून सिस्टम उससे लड़ नहीं पाता। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है वो वैक्सीन लगने के बाद भी रिकवर नहीं कर पाते हैं।
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भारत में बढ़ता कैंसर
हमारे देश में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में कैंसर के मामले सामने आए हैं। 2022 में कैंसर के 14.13 लाख नए केस मिले थे। इसमें 7.22 लाख महिलाएं और 6.91 लाख पुरुष कैंसर से पीड़ित थे। 2022 में कैंसर से 9.16 लाख मरीजों की मौत हुई थी।
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