NEET PG Counseling Process: नीट-पीजी 2024 को लेकर जबलपुर से बड़ी खबर सामने आई है। हाईकोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा की डिवीजन बेंच ने काउंसलिंग प्रक्रिया को रद्द करने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (NBEMS) को नए सिरे से स्टेट मेरिट लिस्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश चयन प्रक्रिया में नियमों के उल्लंघन की शिकायतों के बाद दिया गया है।
अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि काउंसलिंग प्रक्रिया में निर्धारित नियमों का सही पालन नहीं किया गया, जिससे मेरिट लिस्ट में गड़बड़ी हुई। हाईकोर्ट के इस फैसले से हजारों छात्रों को राहत मिली है, जो इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग कर रहे थे।
अब NBEMS (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज) को नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करनी होगी और उसके बाद काउंसलिंग प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी।
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क्या है पूरा मामला
21 नवंबर को राज्य उच्च न्यायालय में रिट याचिका (37078/2024) दायर की गई थी, जिसमें NEET-PG 2024 की काउंसलिंग के लिए मध्य प्रदेश द्वारा जारी मेरिट सूची को चुनौती दी गई।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि राज्य ने दूसरी बार नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का पालन नहीं किया, जिससे मेरिट सूची में विसंगतियां उत्पन्न हुईं। MD – MS में दाखिलों के लिए मेरिट लिस्ट बनाने में दो – दो बार नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई गई।
नीट की मेरिट लिस्ट में अव्वल आने के बावजूद कई इन सर्विस कैंडिडेट ,प्रदेश की मेरिट सूची में नीचे आ गए।
NBEMS से मांगा था डिटेल्ड एक्सप्लनेशन
एक रिपोर्ट के अनुसार, 25 नवंबर को जबलपुर पीठ ने राज्य को पहले दौर की काउंसलिंग आयोजित करने का निर्देश दिया, लेकिन परिणाम 28 नवंबर तक जारी न करने की शर्त रखी। 5 दिसंबर की सुनवाई में, अदालत ने NBEMS से नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया की विस्तृत व्याख्या मांगी।
9 दिसंबर को सुनाए गए फैसले में, अदालत ने कहा कि कच्चे अंकों पर सीधे इंसेंटिव पॉइंट्स जोड़ना गलत था। FAIMA के कार्यकारी सदस्य डॉ. आकाश सोनी ने बताया कि इस प्रक्रिया के कारण केंद्रीय मेरिट में वरिष्ठ उम्मीदवार, राज्य मेरिट में जूनियर हो गए।
अदालत ने निर्देश दिया कि पहले सामान्यीकृत अंक तय किए जाएं और उसके बाद ही प्रोत्साहन अंक जोड़े जाएं।
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क्या होती है नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया ?
NEET PG (National Eligibility cum Entrance Test for Postgraduate) में नॉर्मलाईजेशन एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग विभिन्न शिफ्टों के बीच परीक्षा के परिणामों को समरूप (normalize) करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया इस बात को सुनिश्चित करती है कि अलग-अलग शिफ्टों में परीक्षा देने वाले छात्रों के अंकों की तुलना एक समान तरीके से की जा सके।
नॉर्मलाईजेशन की प्रक्रिया
परीक्षा के स्तर का मूल्यांकन (Evaluation) : अलग-अलग शिफ्टों में परीक्षा का स्तर अलग हो सकता है। नॉर्मलाईजेशन इस डिफरेंस को ध्यान में रखते हुए अंकों को एडजस्ट करता है।
सांख्यिकीय विधियाँ (Statistical Methods): नॉर्मलाईजेशन के लिए विभिन्न सांख्यिकीय विधियों (Statistical Methods) का उपयोग किया जाता है, जैसे कि Z-score या Percentile Score, ताकि सभी छात्रों के अंकों को एक समान आधार पर लाया जा सके।
रिजल्ट्स की तुलना (Comparison of results): नॉर्मलाईजेशन के बाद, सभी छात्रों के अंकों की तुलना करना आसान हो जाता है, जिससे चयन प्रक्रिया में ट्रांसपरेंसी बढ़ती है।
फाइनल रैंकिंग (Final Ranking): नॉर्मलाईजेशन के बाद, छात्रों को उनके एडजस्ट अंकों के आधार पर रैंक दी जाती है, जो उन्हें अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में एंट्री लेने में मदद करती है।
यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सभी छात्रों को उनके वास्तविक प्रदर्शन के अनुसार उचित स्थान मिले, चाहे उन्होंने किसी भी शिफ्ट में परीक्षा दी हो।