Syrian President Bashar-al-Assad: सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के आज 8 दिसंबर से राजधानी दमिश्क को छोड़कर किसी अज्ञात जगह फरार होने की बातें चल रही हैं। अल-असद के गायब होने की बात तबसे चल रही है जब सीरिया के विद्रोहियों ने घोषणा की कि वे राजधानी में प्रवेश कर रहे हैं। इसके बाद सीरिया के प्रधान मंत्री मोहम्मद गाजी अल-जलाली ने कहा है कि सरकार सत्ता सौंपने के लिए तैयार है, क्योंकि विद्रोहियों ने ‘आतंक के युग के अंत’ की घोषणा की है।
असद के सेना और सुरक्षा बलों ने छोड़ी अपनी पोजीशन
समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, बशर अल-असद (Bashar-al-Assad) के गायब होने के बाद सेना और सुरक्षा बलों ने दमिश्क अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से अपनी पोजिशन छोड़ दी है। हिजबुल्लाह के एक करीबी सूत्र के मुताबिक, असद के एक प्रमुख लड़ाकों ने भी सीरिया की राजधानी के आसपास अपनी पोजिशन छोड़ दी है।
सेडनाया जेल में अत्याचारी युग का अंत
इस्लामवादी हयात तहरीर अल-शाम ग्रुप ने इस मुद्दे पर घोषणा की कि उनके साथी दमिश्क में आगे बढ़ रहे हैं। एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, इसके तुरंत बाद उन्होंने सीरियाई शासन के सबसे बुरे दुर्व्यवहारों का प्रतीक ‘सेडनाया जेल में अत्याचारी युग के अंत’ की घोषणा की।
इससे पहले, विद्रोहियों ने कहा था कि उन्होंने राजधानी के रास्ते में पड़ने वाले रणनीतिक शहर होम्स पर कब्जा कर लिया है। लेकिन सीरियाई रक्षा मंत्रालय ने इससे इनकार किया था और कहा कि होम्स में स्थिति सुरक्षित और स्थिर है।
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13 साल बाद बशर अल-असद शासन का तख्तापलट
बता दें, बशर अल-असद शासन का तख्तापलट 13 साल के विद्रोह के बाद हुआ, जो राष्ट्रपति असद के खिलाफ एक शांतिपूर्ण विद्रोह के रूप में शुरू हुआ था और अब यह एक पूर्ण पैमाने पर गृह युद्ध में तब्दील हो गया जिसने सीरिया को तबाह कर दिया है।
हयात तहरीर अल-शाम का गठन 2012 में अल-नुसरा के नाम से किया गया था। इसने अगले वर्ष अल-कायदा के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा की थी। हालाँकि, 2016 में ग्रुप ने अल-कायदा से नाता तोड़ लिया और हयात तहरीर अल-शाम नाम रख लिया। लेकिन, अमेरिका और ब्रिटेन समेत वैश्विक शक्तियां इसे अल-कायदा से संबद्ध संगठन के रूप में देखती रहती हैं।
विद्रोहियों ने उठाए अन्य घटनाओं का फायदा
पिछले दो महीनों में, विद्रोहियों ने अपना आक्रमण फिर से शुरू किया, जब उन्होंने यह जाना कि सीरियाई सरकार के सहयोगी अन्य घटनाओं में फंसे हुए हैं। इजराइल के हमले के बाद हिजबुल्लाह और ईरान को झटका लगा है और रूस यूक्रेन से लड़ रहा है। इन घटनाओं ने बशर अल-असद (Bashar-al-Assad) को बेनकाब कर दिया।