MP OBC Reservation Update: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 4 दिसंबर को चीफ जस्टिस की डबल बेंच में प्राथमिक यानी वर्ग 3 शिक्षक भर्ती में ओबीसी रिजर्वेशन से संबंधित मामले की सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बेंच से अनुरोध किया कि ओबीसी के 27% आरक्षण के हिसाब से ज्वाइनिंग लेटर जारी किये जाएं। जिस पर कोर्ट ने दो टूक कहा कि अभी वेट कीजिए। फिलहाल मामले की सुनवाई को आगे बढ़ा दिया है।
क्या राजनीति की वजह से अटका मामला?
मामले की सुनवाई के दौरान जिरह में राजनीतिक एंगल की भी एंट्री हुई। ओबीसी उम्मीदवारों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि OBC को 27% आरक्षण सिर्फ इसलिए नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि इसे 2019 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में लागू किया गया और 2020 में बीजेपी की सरकार आ गई।
OBC 27% आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट की दो टूक: याचिकाकर्ता ने की ज्वॉइनिंग लेटर जारी करने की मांग, HC ने कहा- अभी Wait कीजिए#OBC #OBCreservation #HighCourt #MPTeacher #teachers @jitupatwari @UmangSinghar @OfficeOfKNath @OfficeofSSC
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अब यदि ये बीजेपी के शासनकाल में लागू होता है तो ये कहा जाएगा कि ये तो कांग्रेस सरकार लाई थी। हालांकि सरकार की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल एडवोकेट जनरल ने बीच में ही हस्तक्षेप करते हुए कहा कि OBC के 27% आरक्षण पर स्टे कमलनाथ सरकार के समय ही लग गया था। हालांकि इस मेटर पर बेंच की ओर से कहीं कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार
हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की डबल बेंच में 17 मिनट चली सुनवाई में सरकार की ओर से जब एडिशनल एडवोकेट जनरल पक्ष रख रहे थे, उसी दौरान बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। बता दें कि ओबीसी 27 फीसदी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं।
ये दिये गए तर्क
याचिकाकर्ता: याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण को लेकर शिक्षक भर्ती में कभी कहीं कोई स्टे लगा ही नहीं। इसे तय आरक्षण अनुसार शिक्षक भर्ती कर योग्य उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग लेटर जारी किये जाने चाहिए।
शासन: सरकार की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर विधानसभा में पारित अध्यादेश (लेजिसलेशन) पर हाईकोर्ट का स्टे है। इसलिए ये जीएडी के नियम पर स्वत: लागू हो जाता है। ये एक पॉलिसी मेटर है, जो सभी भर्तियों में समान रूप से रहेगा।
1.8 लाख से अधिक उम्मीदवारों का भविष्य दाव पर
OBC के 27% आरक्षण से लाखों बच्चों का भविष्य जुड़ा हुआ है। मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि पीएससी में 30 हजार और सभी भर्तियों में करीब 90 हजार ज्वाइनिंग लेटर सिर्फ इसी वजह से अटके हुए हैं। हाईकोर्ट में ही EWS मामलों की पैरवी करने वाले अधिवक्ता धीरज तिवारी ने बताया कि इतने ही कैंडिडेट जनरल कैटेगिरी के भी हैं।
यानी ये माना जा सकता है कि ओबीसी रिजर्वेशन से 1.8 लाख से अधिक उम्मीदवारों का भविष्य टिका हुआ है। यदि फैसला ओबीसी के पक्ष में आता है तो इस वर्ग के उम्मीदवारों को नौकरी मिलेगी और यदि ये फैसला अनारक्षित कैटेगिरी के पक्ष में आता है तो सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को इसका लाभ मिलेगा।
याचिकाओं को लिंक कर एक साथ सुनवाई के निर्देश
ओबीसी व ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों की इस मामले में करीब 300 याचिकाएं लंबित हैं। कोर्ट ने अलग-अलग याचिकाओं को लिंक कर एक साथ सुनवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं अब मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को है।
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