Raipur Child Murder Case: छत्तीसगढ़ रायपुर के उरला क्षेत्र में करीब ढाई साल पहले 4 साल के बच्चे को किडनैप किया गया था। किडनैप मासूम को हैवान ने जिंदा जला दिया था। इस मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई। दोषी पंचराम मासूम की मां से एकतरफा प्रेम करता था और मृतक की मां उससे बात नहीं करती थी। मां को सबक सिखाने पंचराम ने वारदात को अंजाम दिया था।
इस केस की सुनवाई के बाद कोर्ट (Raipur Child Murder Case) ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे लोग समाज में रहने लायक नहीं है। सुनवाई में हत्यारे ने कोर्ट के सामने झूठ बोला। पंचराम ने दोनों भाई को जलाने की साजिश रची। इसके बाद दोनों को अपने साथ लेकर जा रहा था, तभी बड़े भाई ने उसके साथ जाने से इनकार कर दिया, इससे वह बच गया।
फांसी की सजा सुनते ही सन्नाटे में आ गया पंचराम
रायपुर जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कोर्ट (Raipur Child Murder Case) में सजा सुनाई। इसी बीच कोर्ट में पंचराम हाथ बांधकर जज का आदेश सुन रहा था। कोर्ट ने जैसे ही उसे फांसी की सजा सुनाई, उसके चेहरे की हवा उड़ गई। वह सजा के बाद सन्नाटे में दिख रहा था। पंचराम गेंड्रे कोर्ट के बाहर अपनी चप्पल तक छोड़ आया।
केस में बड़ा भाई बना मुख्य गवाह
पंचराम गेंड्रे को सजा सुनाने के बाद उसे रायपुर (Raipur Child Murder Case) सेंट्रल जेल ले जाया गया। इस केस में ढाई साल तक सुनवाई चली। इसमें 19 गवाहों के बयान लिए गए। इस केस में मृतक मासूम के भाई का बयान सबसे अहम रहा। पीड़ित पक्ष के वकील ने इस बारे में जानकारी दी कि 2 महीने पहले मृतक के बड़े भाई का कोर्ट में बयान लिया गया था। जज ने बड़े भाई से पूछा था कि पंचराम से डर लग रहा है, तब उसने हां कहा था। इसके बाद बच्चे को डरा देख उसे करीब आधा घंटे कोर्ट रुम से बाहर रिलैक्स होने के लिए रखा और इसके बाद भाई ने पूरी बातें सुनाई।
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5 अप्रैल 2022 में हुई थी घटना
रायपुर के उरला क्षेत्र में 5 अप्रैल 2022 की सुबह 4 साल के मासूम (Raipur Child Murder Case) का किडनैप हुआ था। उसे पड़ोसी पंचराम ने किडनैप किया था। ये सभी किराए के मकान में रहते थे। आरोपी पंचराम भी वहीं किराए पर रहता था। उसकी कुछ साल पहले पत्नी छोड़कर भाग गई, इसके बाद वह अपनी मां के साथ रह रहा था। पंचराम इन बच्चों से गुला-मिला था। पंचराम ने बेमेतरा के श्मशान में मासूम को जिंदा जला दिया। इस मामले में पुलिस ने उसे नागपुर से अरेस्ट किया था। पूछताछ में बच्चे की हत्या और उसकी मां से प्रेम की बात सामने आई।
सेंट्रल जेल में पहली बार दी थी बैजू कैदी को फांसी
इस मामले में ढाई साल के बाद फैसला आया है। पंचराम को फांसी (Raipur Child Murder Case) की सजा कोर्ट ने सुनाई है। इतिहास के पन्ने खंगाले तो 25 अक्टूबर 1978 को रायपुर सेंट्रल जेल में पहले भी एक फांसी हो चुकी है। जेल में पहली बार बैजू नामक कैदी को फांसी दी थी। बैजू ने 2 हजार रुपए के लिए चार लोगों को मार दिया था।
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