Harda Factory Blast Case Update: हरदा फैक्टरी ब्लास्ट के पीड़ितों को भोपाल पहुंचने से पहले ही न्याय मिल गया है। शासन ने उनकी मांगे मान ली है।
जिसके बाद विरोध स्वरूप हरदा से भोपाल के लिए निकाली जा रही पदयात्रा का भी समापन हो गया है। पीड़ितों को अपने मकान बनाने के लिए सरकार की ओर से सहायता मिल गई है।
गोपालपुर पहुंचे थे कलेक्टर-एसपी
14 नवंबर को भोपाल के लिए निकले पीड़ित दो दिन में हरदा से 45 किमी दूर गोपालपुर पहुंचे। यहां 16 नवंबर की शाम को हरदा कलेक्टर-एसपी पीड़ितों से मिलने आ गए। कलेक्टर-एसपी ने मौके पर ही 27 लोगों को 2-2 लाख रुपये के चेक सौंप दिए।
साथ ही मकान बनाने के लिए 3-3 लाख रुपये का मटेरियल की भी शासन की ओर से व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही शासन की ओर से पीड़ितों को आश्वासन दिया गया कि जल्द ही उन्हें मकान बनाने के लिए पट्टे भी दे दिये जाएंगे। इसके बाद पीड़ितों ने अपनी पदयात्रा समाप्त कर दी।
पहले नेमावर में रोकने की कोशिश
हरदा से भोपाल सीएम हाउस घेराव करने निकले पीड़ितों को शासन ने पहले नेमावर में रोकने की कोशिश की। अधिकारियों ने पीड़ितों से कहा कि भोपाल पैदल जानें की जरुरत नहीं है।
शासन की गाड़ी में बैठकर चलें, सीएम से उनकी मुलाकात करवा दी जाएगी, लेकिन पीड़ित पैदल जाने की ही अपनी बात पर अड़े रहे। जिसके बाद नेमावर से कुछ किमी दूर गोपालपुर पहुंचकर हरदा कलेक्टर-एसपी ने पीड़ितों का ये प्रदर्शन खत्म करवाया।
6 फरवरी को हुआ था ब्लॉस्ट
हरदा के बैरागढ़ इलाके में 6 फरवरी 2024 को पटाखा फैक्टरी में ब्लॉस्ट हो गया था। धमाके की डेंसिटी इतनी अधिक थी कि कंपन 50 किमी दूर तक महसूस किये गए।
घटनास्थल से 3 किमी दूर खड़ी कारों के कांच क्रेक हो गए, बाइक गिर गई। ब्लॉस्ट के कारण सड़क से गुजर रहे लोग भी घायल हुए। घटना में 13 लोगों की मौत हुई थी और 174 घायल हुए थे।
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एनजीटी भी दे चुकी है आदेश
घटना के बाद पूरे मामले का एनजीटी ने संज्ञान लिया था। एनजीटी ने अपने विस्तृत आदेश में कहा था कि इस हादसे में न्यूनतम राहत देने की जरूरत है।
घर जलने पर 5 लाख रुपए प्रति घर के हिसाब से क्षतिपूर्ति की जाए और जिनके घर खाली कराए गए हैं, उन्हें 2 लाख रुपए देने का कहा था। शासन ने इस आदेश का पालन करने में देरी की। जिससे पीड़ितों का गुस्सा भड़क गया था।
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35 घर पूरी तरह से टूटे
धमाके से पटाखा फैक्टरी के आसपास के बने 35 घर पूरी तरह से टूट गए। इन घरों में रहने वाले करीब 100 लोगों को घटना के बाद से ही हरदा की अजनाल नदी के पास बनी शासकीय आईटीआई में ठहराया गया है।
9 महीने से ये लोग वहीं रहकर जैसे तैसे जीवनयापन कर रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि शासन की ओर से ब मदद की जा रही है, जैसे ही उनके मकान बनेंगे, वे आईटीआई खाली कर वहां शिफ्ट हो जाएंगे।