BJP Parashad Nishkasit: छिंदवाड़ा नगर निगम चुनाव में अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद भाजपा दफ्तर में हुए अभद्रता मामले में भाजपा जिलाध्यक्ष ने सख्त कार्रवाई की है। इस मामले में दो पार्षद और दो पार्षद पतियों को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। निष्कासित किए गए लोगों में भाजपा पार्षद किरण हरिओम सोनी, पूर्णिमा मालवी और पूर्व पार्षद संतोष राय और शिव मालवी शामिल हैं। यह कार्रवाई पार्टी अनुशासन में रखने और ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए की गई है।
पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते किया निष्कासित
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के जिला अध्यक्ष ने छिंदवाड़ा में चार नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। ये कार्रवाई नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद भाजपा जिला कार्यालय में पार्षदों के साथ गाली-गलौच और पार्टी कार्यकर्ताओं को अपशब्दों का इस्तेमाल करने के कारण की गई। भाजपा जिला अध्यक्ष ने इन नेताओं से जवाब मांगा था, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। इससे पहले सभी पार्षदों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
क्या है पूरा मामला
छिंदवाड़ा नगर पालिका निगम में अध्यक्ष सोनू मांगो के खिलाफ 8 अक्टूबर को लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह की मौजूदगी में गुप्त मतदान हुआ, जिसमें अध्यक्ष सोनू मांगो के पक्ष में 21 मत पड़े, जबकि विपक्ष में 27 मत पड़े। मतदान के दौरान भाजपा के 33 और कांग्रेस के सभी 14 पार्षद मौजूद थे। खास बात यह रही कि अध्यक्ष के पक्ष में कांग्रेसियों के अलावा 7 विपक्षी पार्षदों ने भी वोट डाले, जिससे अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। इस प्रक्रिया की अध्यक्षता पीठासीन अधिकारी शीलेंद्र सिंह ने की, और सदन में महापौर और पार्षद मौजूद रहे। यह कार्यवाही 2 घंटे तक चली।
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BJP में दिखी गुटबाजी
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की गुटबाजी छिंदवाड़ा नगर निगम में अध्यक्ष सोनू मांगो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान उभरकर सामने आई। भाजपा को पहले से ही गुटबाजी का अंदेशा था, इसलिए अविश्वास प्रस्ताव से पहले पार्षदों को एकजुट करने के लिए भाजपा नेता जुटे रहे। भाजपा प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी ने पार्षदों से अलग-अलग चर्चा की और पार्षद दिवाकर सदारंग के घर भी गए। उन्होंने पूर्व मंत्री चौधरी चंद्रभान के गुट के पार्षदों से भी बात की। लेकिन इन प्रयासों के बावजूद, वोटिंग के दौरान विपक्ष के 7 पार्षदों ने कांग्रेस अध्यक्ष के पक्ष में वोट डाले, जिससे गुटबाजी स्पष्ट दिखाई दी।
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