Air Pollution in Madhya Pradesh: ग्यारस की अतिशबाजी ने अपना असर दिखा दिया है। मध्य प्रदेश के सभी बड़े शहरों में हवा की सेहत बिगड़ गई है। इनमें से कई शहर रेड जोन में आ गए हैं। यानी यहां की हवा बेहद खराब हो गई है।
आइये आपको बताते हैं कि क्या आपका शहर भी इस कैटेगिरी में है। पूरे प्रदेश में 12 नवंबर की रात ग्यारस का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान जमकर अतिशबाजी भी की गई।
इससे प्रदेश के बड़े शहरों में हवा की सेहत बिगड़ गई है। तापमान में गिरावट होने से आतिशबाजी के कारण वातावरण में धुंआ ऊपर नहीं उठ पाया। जिससे प्रदूषण बढ़ गया है।
8 प्वाइंट और बढ़े तो उज्जैन में विस्फोटक स्थिति
प्रदेश में सबसे ज्यादा स्थिति चिंताजनक स्थिति महाकाल की नगरी उज्जैन की है। यहां प्रदूषण का लेवल इतना हाई है कि 8 प्वाइंट भी एक्यूआई लेवल बढ़ने से हवा जहरीली हो जाएगी। यानी वैज्ञानिक रूप से यह हवा सांस लेने लायक नहीं होगी।
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उज्जैन में 13 नवंबर को प्रदेश में सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 392 पर पहुंच गया है। बता दें कि एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 पार होते ही हवा को सांस लेने योग्य नहीं माना जाता।
प्रदूषण के इस लेवल पर यदि कोई सांस लेता है तो उसे सांस लेने में तकलीफ के साथ अस्थमा, हृदय और फेफड़े संबंधी बीमारी हो सकती है।
सागर में भी 371 पर पहुंचा एक्यूआई
सागर में भी ग्यारस के बाद अचानक प्रदूषण बढ़ा है। सागर के दीनदयाल नगर इलाके में एक्यूआई 371 दर्ज किया गया, जो प्रदेश में दूसरा सबसे अधिक प्रदूषण वाला इलाका है।
शहर | इलाका | AQI लेवल | कैटेगिरी | जोन | स्वास्थ्य पर असर |
सागर | दीनदयाल नगर | 371 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
सागर | कलेक्टोरेट परिसर | 157 | मध्यम श्रेणी | यलो | फेफड़े, अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को सांस लेने में तकलीफ |
सिंगरौली | सूर्यकिरण भवन | 325 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
सिंगरौली | त्रमुआ सेंटर | 216 | खराब | ऑरेंज | लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है |
वहीं सागर के कलेक्टोरेट परिसर के पास एक्यूआई 157 दर्ज किया गया है। इसी तरह सिंगरौली में 325 और त्रमुआ सेंटर में 216 एक्यूआई दर्ज किया गया है। इन सभी जगहों पर वायु की गुणवत्ता बेहद खराब है।
इंदौर दूसरे और भोपाल तीसरे नंबर पर
प्रदूषण के मामले में इंदौर प्रदेश में दूसरे और भोपाल तीसरे नंबर पर है। इंदौर के एयरपोर्ट इलाके में एक्यूआई 380, मागुड़ा नगर में 350 और रेसीडेंसी एरिया में 303 दर्ज किया गया है। हालांकि पोलो ग्राउंड इलाके की हवा साफ है।
शहर |
इलाका | AQI लेवल | कैटेगिरी | जोन | स्वास्थ्य पर असर |
इंदौर | एयरपोर्ट इलाका | 380 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
इंदौर | मागुड़ा नगर | 350 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
इंदौर | रेसीडेंसी एरिया | 303 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
भोपाल | अरेरा क्षेत्र | 379 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
भोपाल | कलेक्टोरेट परिसर | 329 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
भोपाल | टीटी नगर | 314 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
इसी तरह भोपाल में सबसे अधिक प्रदूषण अरेरा क्षेत्र में 379 रिकॉर्ड किया गया है। वहीं कलेक्टोरेट इलाके में ये 329 और टीटी नगर में 314 दर्ज किया गया है।
जबलपुर और ग्वालियर की ये स्थिति
जबलपुर के महरताल में एक्यूआई 310 रिकॉर्ड हुआ है। वहीं गुप्तेश्वर में ये 212 और सुहागी में 204 दर्ज किया गया है। इसी तरह ग्वालियर के महाराज बाड़ा में एक्यूआई 301, डीडी नगर में 302 और सिटी सेंटर में 286 रिकॉर्ड किया गया है।
शहर |
इलाका | AQI लेवल | कैटेगिरी | जोन | स्वास्थ्य पर असर |
जबलपुर | महरताल | 310 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
जबलपुर | गुप्तेश्वर | 212 | खराब | ऑरेंज | लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है |
जबलपुर | सुहागी | 204 | खराब | ऑरेंज | लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है |
ग्वालियर | डीडी नगर | 302 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
ग्वालियर | महाराज बाड़ा | 301 | बहुत खराब | रेड | लंबे समय तक संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी |
ग्वालियर | सिटी सेंटर | 286 | खराब | ऑरेंज | लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है |
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम और कारगर उपायों के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देशित किया है।
सख्ती से मंडीदीप की हवा में सुधार
दो दिन पहले तक देश के सबसे प्रदूषित शहर में शुमार मंडीदीप में थोड़े ही सही, लेकिन हालात सुधरे हैं। 11 नवंबर, सोमवार को मंडीदीप का एक्यूआई लेवल आल टाइम हाई 372 दर्ज किया गया।
इसके बाद मंडीदीप क्षेत्रीय अधिकारी कार्यालय की ओर से निर्माणाधीन सड़कों पर पानी का छिड़काव करने के लिए एकेवीएन और आग की रोकथाम, डस्ट सेप्रेशन सहित अन्य कारगर उपायो के लिए नगर निगम को पत्र लिखे गए। नतीजा ये हुआ कि दो दिन में ही एक्यूआई 54 प्वाइंट गिरकर 318 हो गया। हालांकि ये अब भी रेड जोन में ही है।
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बढ़ते प्रदूषण के लिए पटाखे कितने जिम्मेदार
हर साल आतिशबाजी में हजारों टन सल्फर जलता है। जब सल्फर और पार्टिकुलेट मेटर मिलते हैं तो ये हवा को जहरीला बना देते हैं। इसके जलने से सल्फर डाईऑक्साइड के साथ साथ पीएम10 और पीएम2.5 में इजाफा होता है। सल्फर से अस्थमा होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
पटाखों में इस्तेमाल होने वाले अमोनियम और पोटेशियम केमिकल से थाइरॉइड ग्रंथि पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे लंग कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे अमोनियम की हवा में मात्रा बढ़ जाती है।
वहीं पटाखों के जलाने से कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन की मात्रा भी बढ़ जाती है। ये सभी तत्व एयर क्वालिटी इंडेक्स पर असर डालते हैं।
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