Cyber Fraud With Minister Son: मध्य प्रदेश सरकार की मंत्री कृष्णा गौर के बेटे के साथ ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें जालसाजों ने 3 लाख 19 हजार रुपए से अधिक की ठगी की वारदात को अंजाम दिया।
आरोपियों ने महिंद्रा कंपनी में लेबर सप्लाई और ट्रांसपोर्ट का ठेका दिलाने (Krishna Gaur son Thug) का झांसा दिया था। पीड़ित ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जानें पूरा मामला
भोपाल के 74 बंगले में कृष्णा गौर के साथ रहने वाले उनके बेटे आकाश गौर ने साइबर क्राइम को अपनी शिकायत में बताया कि 20 मार्च 2024 को सुबह 11:00 बजे से लेकर 4:00 बजे के बीच उन्हें एक प्राइवेट कंपनी से फोन आया।
फोन करने वाले ने उनसे पूछा कि क्या वह लेबर सप्लाई का काम (Krishna Gaur son Thug) करते हैं, जिस पर आकाश ने बताया कि वह ठेकेदारी का काम करते हैं। इसके बाद फोन करने वाले ने कहा कि उन्हें काम का टेंडर मिल जाएगा, लेकिन इसके लिए उन्हें एक क्यूआर कोड पर एंट्री करनी होगी। एंट्री करने के बाद काम अलॉट हो जाएगा।
इसके बाद आकाश ने क्यूआर कोड पर एंट्री की, लेकिन बाद में पता चला (Krishna Gaur son Thug) कि यह एक ठगी की साजिश थी और जालसाजों ने तीन लाख रुपए से अधिक की ठगी की वारदात को अंजाम दिया।
आकाश गौर ने पुलिस को बताया कि फोन करने वाले ने खुद का नाम आर. के. यादव बताया और कहा कि टेंडर पाने के लिए उन्हें जल्द ही वेंडर कोड जनरेट करना होगा। इसके लिए निर्धारित शुल्क जमा करने को कहा गया। कुछ देर बाद, जालसाज ने आकाश को व्हाट्सएप पर एक क्यूआर कोड भेजा और उनसे शुल्क जमा करने के लिए कहा।
आकाश उनके झांसे में आ गए और 20 मार्च 2024 को अलग-अलग (Krishna Gaur son Thug) बैंक खातों से कुल 3 लाख 19 हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद, जालसाज ने फोन बंद कर दिया और आकाश को ठगी का शिकार बना लिया।
साइबर ठग पुलिस से आगे
भोपाल साइबर पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच करते हुए पता लगाया कि शातिर ठग एक कदम आगे थे। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर) सुजीत तिवारी ने बताया कि जालसाजों ने ठगी की रकम पाने के लिए बैंक ऑफ इंडिया के एक खाते का उपयोग किया।
शिकायत के बाद जब इस बैंक खाते को होल्ड कराया गया, उससे (Madhya Pradesh Government Minister Krishna Gaur) पहले ही ठगी की पूरी रकम एक अन्य सहकारी बैंक के खाते में ट्रांसफर कर दी गई थी। साइबर क्राइम की टीम ने सहकारी बैंक के बारे में जानकारी जुटाई और फिर उस खाते को फ्रीज कर दिया, ताकि ठगों द्वारा रकम निकालने से पहले उसे रोका जा सके।
फ्रॉड ईमेल से किया मेल
जब साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने सहकारी बैंक में ठग का अकाउंट फ्रीज करा दिया, तो आरोपियों ने एक और जालसाजी की। उन्होंने बैंक को कंफ्यूज करने के लिए साइबर क्राइम से मिलती-जुलती एक ईमेल आईडी बनाई और बैंक के मैनेजर को खाता अनफ्रीज करने के लिए मेल भेजा।
जब सहकारी बैंक के मैनेजर ने इस मामले में भोपाल क्राइम ब्रांच (Madhya Pradesh Government Minister Krishna Gaur)से संपर्क किया, तो खुलासा हुआ कि आरोपियों ने डीसीपी क्राइम ब्रांच की ईमेल आईडी में एक शब्द का हेरफेर कर खाता अनफ्रीज करने की कोशिश की थी। भोपाल साइबर क्राइम ने 8 महीने की जांच के बाद 9 नवंबर को शिकायत दर्ज की और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों की गिरफ्तारी की तैयारी की जा रही है।