MP Nursing College Fraud: मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा मामले में सरकार अब सख्त मोड पर नजर आ रही है. आपको बता दें हाल ही में मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों के मामले में एक बड़ी रिपोर्ट सामने आई थी. जिसमें प्रदेश के 700 नर्सिंग कॉलेजों में से केवल 200 को ही संचालन योग्य माना गया था, जबकि 500 कॉलेजों को अयोग्य पाया गया.
प्रारंभिक सीबीआई जांच में 169 कॉलेजों को संचालन के योग्य बताया गया था, लेकिन इस जांच पर सवाल उठने पर हाईकोर्ट के निर्देश पर दोबारा जांच की गई. इस नई जांच में केवल 87 कॉलेज ही मानकों पर खरे उतरे। इसके बाद शेष बचे कॉलेजों की पुनः जांच की गई, जिसमें 73 और कॉलेजों को संचालन योग्य हैं.
मध्य प्रदेश में इस बार 45 हजार की जगह 6 हजार के नीचे नर्सिंग की सीट रह सकती है. साथ ही करीब 300 आवेदन नर्सिंग कॉलेज के संचालकों द्वारा मान्यता नवीनीकरण के लिए दिए गए हैं. जिसमें से 125 ही मान्यता योग्य हैं.
क्या है मामला
सीबीआई ने नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा मामले में रिपोर्ट जारी की था. जिसमें 175 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता योग पाए गए थे. सरकार द्वारा इस मामले में सख्ती अपनाने के बाद कई कॉलेज के संचालक ने मान्यता के लिए आवेदन ही नहीं दिया.
इससे पहले साल 2020 में 670 कॉलेज में करीब 45 हजार नर्सिंग की सीट थी. जिसपर सरकार ने तय किया था कि अब नए कॉलेजों को मान्यता नहीं दी जाएगी. साथ ही पहले से संचालित नर्सिंग कॉलेजों का नवीनीकरण किया जाएगा.
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जबलपुर हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
जबलपुर हाईकोर्ट की मुख्यपीठ ने शुक्रवार को आदेश दिया (Madhya Pradesh Nursing Colleges) कि ग्वालियर बेंच में लंबित नर्सिंग कॉलेजों से जुड़े 10 मामलों को जबलपुर मुख्यपीठ में ट्रांसफर किया जाए.
याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने बताया कि ये मामले सत्र 2022-23 में नर्सिंग कॉलेजों को लेकर काउंसिल के फैसलों के खिलाफ दायर अपीलों से संबंधित हैं. तत्कालीन डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) ने सत्र समाप्त होने के बाद भी कॉलेजों के पक्ष में अतिरिक्त सीटों की मान्यता देने का आदेश जारी किया (Madhya Pradesh Nursing Colleges) था, लेकिन सत्र समाप्त होने के कारण प्रशासकों ने इस आदेश को लागू नहीं किया। इसके बाद प्रभावित कॉलेजों ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की.