MP Government: मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने पाठ्य पुस्तक निगम में वित्त महाप्रबंधक अंजू सिंह को हटाने का आदेश निरस्त कर दिया है। 46 दिन बाद उनकी सेवाएं निगम में यथावत रखने का आदेश जारी किया गया है।
23 सितंबर को जारी हुआ था हटाने का आदेश
मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम ने 23 सितंबर को अंजू सिंह को हटाने का आदेश जारी किया था। उनकी सेवाएं मध्यप्रदेश वित्त विभाग को लौटा दी गई थीं।
अंजू सिंह के खिलाफ मिली थीं गंभीर शिकायतें
स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने पाठ्य पुस्तक निगम के कामकाज का रिव्यू किया था। वित्त अधिकारी अंजू सिंह की बड़ी अनियमितताएं सामने आईं। अंजू के 2 डॉक्यूमेंट में पति का नाम अलग-अलग है, इसका खुलासा होने के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री ने ये कहकर महिला वित्त अधिकारी की सेवाएं वित्त विभाग को लौटा दीं कि ऑफिसर की पहचान संदिग्ध है। उनसे फाइनेंस से जुड़ा काम नहीं करा सकते।
अंजू सिंह की बड़ी अनियमितताएं
मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक ने वित्त विभाग के सचिव को पत्र लिखकर अंजू सिंह की अनियमितताएं बताई थीं।
1. रिटायर कर्मचारियों को पैसा देने में अनावश्यक देरी करती हैं।
2. निगम के कर्मचारियों का हर महीने PF काटने के बाद भी राशि EPFO में जमा नहीं कराती हैं।
3. डिपो में काम पूरा होने के बाद भी अग्रिम भुगतान करने में कई महीने लगाती हैं।
4. रसीदों को ठीक तरह से नहीं रखतीं, इस वजह से दोबारा भुगतान होने की स्थिति बनती है।
5. प्रिंटर से GST भरने के बाद ये पैसा GST ऑफिस में जमा नहीं कराती हैं।
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पूर्व मंत्री के कार्यालय से आई थी पहली शिकायत
अंजू सिंह 7 साल से वित्त महाप्रबंधक के पद पर हैं। उनकी पहली शिकायत तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के ऑफिस से आई थी। इसमें बताया गया था कि अधिकारी की सेवा पुस्तिका में पति राकेश कुमार सिंह है। पाठ्य पुस्तक निगम में जब उन्होंने दस्तावेज लगाए तो उसमें बैंक की पासबुक की फोटो कॉपी में पति का नाम ऋषिराज वर्मा लिखा था। इस शिकायत के बाद पाठ्य पुस्तक निगम ने वित्त विभाग से पहचान संदिग्ध होने की स्थिति में सही पहचान को प्रमाणित करने के लिए कहा था।
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