EPFO Pensioners Verification New Update: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने पेंशनर्स के जीवन प्रमाण-पत्र की आधार सत्यापन (वेरिफिकेशन) प्रक्रिया में आने वाली दिक्कतों को देखते हुए एक नई सुविधा शुरू की है।
अब ईपीएफ पेंशनर्स अपनी पहचान को फिंगरप्रिंट और आंखों की पुतली (आइरिस) स्कैन की जगह चेहरे की पहचान (फेस स्कैनिंग) के माध्यम से भी प्रमाणित कर सकेंगे।
इससे पहले जीवन प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए केवल फिंगरप्रिंट और आइरिस स्कैन जैसे बायोमीट्रिक डाटा के सत्यापन की सुविधा उपलब्ध थी।
यह भी पढ़ें- CM के लिए आया समोसा किसने खाया : इस राज्य में समोसा पॉलिटिक्स, CID जांच के आदेश से मचा बवाल
इसलिए दी गई सुविधा
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ईपीएफओ के रीजनल कमिश्नर-1 अमिताभ प्रकाश ने बताया कि फिंगरप्रिंट और आंखों की पुतली के बायोमीट्रिक सत्यापन (वेरिफिकेशन) में कई पेंशनरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
इसी समस्या का समाधान करने के लिए अब चेहरा पहचान (फेस स्कैनिंग) के माध्यम से भी सत्यापन की सुविधा दी गई है। यह ध्यान देने योग्य है कि ईपीएफ पेंशनरों को हर साल जीवित रहने का प्रमाण देना आवश्यक है, ताकि उनकी पेंशन नियमित रूप से जारी रह सके।
उम्र के साथ घिसने लगती लकीरें
आपको बता दें कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे हमारी फिंगरप्रिंट की लकीरें धीरे-धीरे घिसने लगती हैं और उनके बीच की दूरी बढ़ती जाती है। इसके साथ ही त्वचा के छिद्रों में चिकनाई भी कम हो जाती है, जिससे उंगलियों की सतह पर असर पड़ता है। इसका सीधा मतलब यह है कि उम्र के साथ फिंगरप्रिंट की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिससे बायोमीट्रिक पहचान में कठिनाई आ सकती है।
वृद्ध व्यक्तियों की फिंगरप्रिंट लकीरें वास्तव में युवावस्था में लिए गए सैंपल से अलग नहीं होती हैं, लेकिन वे कम कठोर हो जाती हैं। ऐसी स्थिती में बायोमेट्रिक स्कैनर के लिए उन्हें ठीक से पढ़ना और यह पहचानना एक चुनौती हो सकती है कि फिंगरप्रिंट एक ही व्यक्ति के हैं या नहीं।
यह भी पढ़ें- पदवृद्धि के लिए सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम: मांगे पूरी नहीं हुई तो केशों का त्याग करेंगी महिला वेटिंग शिक्षक