Jabalpur Hospital Fire: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर अग्निकांड पर राज्य सूचना आयोग को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। सूचना आयोग ने नोटशीट को गोपनीय दस्तावेज बताया था। जबलपुर में 1 अगस्त 2022 को न्यू लाइफ मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल में आग लगी थी जिसमें 10 लोगों की मौत हुई थी।
RTI के जरिए मांगी थी रिपोर्ट और नोटशीट
अधिवक्ता विशाल बघेल की याचिका पर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने राज्य सूचना आयोग को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता ने बताया कि जबलपुर में 1 अगस्त 2022 को न्यू लाइफ मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल में घटित अग्निकांड की घटना में कई लोगों जान चली गई थी जिसमें अस्पताल को लाइसेंस जारी करने में अनियमितता भी उजागर हुई थी। इसकी जांच राज्य शासन ने संभागायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित कराई थी। आवेदक ने लोक स्वास्थ्य विभाग मंत्रालय में RTI लगाकर घटना की जांच रिपोर्ट और सभी कार्रवाई की नोटशीट मांगी थी।
RTI के जरिए मांगी थी रिपोर्ट और नोटशीट
अधिवक्ता विशाल बघेल की याचिका पर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने राज्य सूचना आयोग को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता ने बताया कि जबलपुर में 1 अगस्त 2022 को न्यू लाइफ मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल में घटित अग्निकांड की घटना में कई लोगों जान चली गई थी जिसमें अस्पताल को लाइसेंस जारी करने में अनियमितता भी उजागर हुई थी। इसकी जांच राज्य शासन ने संभागायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित कराई थी। आवेदक ने लोक स्वास्थ्य विभाग मंत्रालय में RTI लगाकर घटना की जांच रिपोर्ट और सभी कार्रवाई की नोटशीट मांगी थी।
सूचना आयोग ने नोटशीट को बताया गोपनीय दस्तावेज
RTI आवेदन पर और पहली अपील पर विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की, न ही दस्तावेज उपलब्ध कराए। अपीलार्थी ने राज्य सूचना आयोग में दूसरी अपील की थी। राज्य सूचना आयोग ने 15 अक्टूबर को दूसरी अपील की सुनवाई के दौरान विभाग को आदेश दिए कि अग्निकांड की घटना की जांच रिपोर्ट 2 हफ्ते के अंदर अपीलार्थी को उपलब्ध कराई जाए, लेकिन आयोग ने अपने आदेश में ये भी कहा कि अपीलार्थी द्वारा जो नोटशीट चाही गई है वो गोपनीय दस्तावेज की श्रेणी में आती है जिसे दिया जाना लोकहित में उचित नहीं है।
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आयोग के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती
याचिकाकर्ता ने राज्य सूचना आयोग के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है और याचिका में बताया कि किसी भी फाइल में शामिल नोटशीट उस फाइल का अभिन्न अंग होती है जो कि सूचना के अधिकार के तहत सूचना की परिभाषा में शामिल हैं। सूचना आयोग द्वारा बगैर फाइल देखे उसे गोपनीय करार दिया गया है जो कि अवैधानिक है और समझ से परे है जबकि नोटशीट से ही ये पता लगाया जा सकता है कि फाइल को कब किस अधिकारी द्वारा लंबित रखकर देरी की गई है। मामले में सुनवाई करके हाईकोर्ट ने राज्य मुख्य सूचना आयुक्त को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
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