MP High Court Order: मध्य प्रदेश में ANM भर्ती को लेकर एमपी हाईकोर्ट की बेंच ने अब सख्ती दिखाई है। हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर पर सरकार को फटकार लगाई है। वहीं भर्ती के लिए 1 सप्ताह का वक्त दिया है।
इस समयावधि में भर्ती नहीं होने पर आयुक्त स्वास्थ सेवाएं अवमानना के दोषी होंगे। भर्ती के लिए विभाग की ओर से हाईकोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि वे वास्तव में आदेश का पालन करना चाहते हैं, तो यह दो दिनों का मामला है।
एएनएम भर्ती में फंस गए आयुक्त: MP सरकार ने मांगी थी मोहलत, हाईकोर्ट ने कहा- 2 दिन के काम में कितना वक्त लगाओगे? #ANM #ANMbharti #MPGovt #HighCourt @CMMadhyaPradesh @rshuklabjp @NEYU4INDIA @MPYuvaShakti https://t.co/Pppnhd5Cae
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) November 7, 2024
इसलिए, इस कोर्ट द्वारा दिये गए समय के भीतर ही भर्ती की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट जबलपुर में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच में हो रही है।
पहले परीक्षा में बैठने और फिर अब नौकरी के लिए संघर्ष
ANM भर्ती की लड़ाई लड़ रहे सैयद जाफर ने बताया कि प्रदेश की सैकड़ों योग्य उम्मीदवारों को पहले परीक्षा में बैठने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। छिंदवाड़ा निवासी तबस्सुम कुरैशी एवं अन्य की तरफ से जबलपुर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई।
जिस पर हाईकोर्ट ने तत्काल राहत देते हुए महिला उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी। परीक्षा में शामिल होने के बाद मेरिट लिस्ट पर नाम आने के बाद भी अधिकारियों की गलत नीतियों के कारण इन बेटियों को नियमित पदों पर नियुक्ति नहीं मिल रही थी।
पहले भी याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आ चुका है फैसला
हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए 5 अप्रैल 2024 के आदेश में पाया कि अब परिणाम घोषित हो चुका है और इन याचिकाकर्ताओं को योग्य घोषित किया गया है और इसलिए उन्हें नियुक्ति दी जानी चाहिए, हालांकि, यह इन याचिकाओं के अंतिम परिणाम के अधीन होगा।
इसके बाद इसी न्यायालय की इंदौर खंडपीठ द्वारा 23 और 30 अगस्त 2024 के आदेश के तहत इसी प्रकार के आदेश पारित किए गए। हाईकोर्ट (MP High Court Order) ने ये पाया कि 5 अप्रैल 2024 या उसके बाद के आदेशों का पालन नहीं किया गया।
इन गलत नियमों के कारण उलझी थी नियुक्ति
1. पूर्व में एएनएम का कोर्स 18 महीने का होता था। बाद में 2019 में यह 24 महीने का हो गया। 2023 के विज्ञापन में 24 महीने के कोर्स को वर्णित कर दिया गया। इससे 18 महीने का कोर्स करने वाली ANM उम्मीदवार डिसक्वालीफाई हो गई।
2. मध्य प्रदेश में ANM का कोर्स शासकीय एवं अशासकीय कॉलेज में कराया जाता है। प्रदेश के अधिकारियों की निर्णय के अनुसार अशासकीय कॉलेज में ANM का कोर्स करने वाली महिला उम्मीदवारों को भर्ती में डिसक्वालीफाई कर दिया गया।
3. पूर्व में एएनएम का कोर्स करने के लिए 10वीं पास होना आवश्यक था। जिस आधार पर हजारों युवतियों ने एएनएम का कोर्स करके रखा था। भर्ती में सिर्फ बायोलॉजी विषय से ही 12वीं पास उम्मीदवारों को योग्य माना गया था।
आयुक्त स्वास्थ सेवाओं ने दिया था भर्ती करने का आश्वासन
23 अगस्त के आदेश के तहत आयुक्त, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया गया कि अंतरिम आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया और अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
जिसके बाद आयुक्त, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं 30 अगस्त 2024 को उपस्थित हुए और कोर्ट को 5 अप्रैल 2024 के आदेश का पालन करने का आश्वासन दिया। उल्लेखनीय है कि आज तक 1233 पदों के विरुद्ध केवल 134 उम्मीदवारों को नियुक्ति दी गई है।
भर्ती नहीं की तो आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं होंगे अवमानना के दोषी
बेंच (MP High Court Order) ने यह भी पाया कि इस 5 अप्रैल 2024 के आदेश और उसके बाद पारित आदेशों को प्रतिवादियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती नहीं दी गई है।
कोर्ट ने कहा- हम प्रतिवादियों को एक सप्ताह के भीतर आदेश का पालन करने का निर्देश देते हैं, ऐसा न करने पर आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय को अवमानना के लिए दोषी माना जाएगा और परिणामस्वरूप दोषी ठहराया जाएगा। नियुक्ति उन सभी उम्मीदवारों को दी जाएगी जिन्होंने परीक्षा उत्तीर्ण की है।
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उम्मीदवार सीएमएचओ के सामने रहेंगे उपस्थित
कोर्ट ने कहा कि प्रक्रिया के अनुसार उम्मीदवारी की जांच की जाएगी और सभी उम्मीदवार जो पात्र हैं, उन्हें नियुक्ति दी जाएगी। सभी उम्मीदवारों को संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के समक्ष 8 नवंबर, शुक्रवार को सुबह 9:30 बजे उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी उम्मीदवारों के दस्तावेज उचित नहीं हैं, तो उसे नियुक्ति नहीं दी जाएगी। ऐसी नियुक्ति न देने का कारण आयुक्त, स्वास्थ्य सेवा निदेशालय द्वारा दायर किए जाने वाले हलफनामे में प्रतिवादियों द्वारा स्पष्ट किया जाएगा।