MP Samvida Karmchari Salary: मध्य प्रदेश के सवा लाख संविदा कर्मचारियों की जेब पर सीपीआई (Consumer Price Index) ने डाका डाला है। पहले इन संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तरह महंगाई भत्ता (DA) मिलता था।
लेकिन अब डीए की जगह सीपीआई इंडेक्स (CPI Index) मिल रहा है। इससे संविदा कर्मचारियों को 6 हजार रुपये (MP Samvida Karmchari Salary) तक का नुकसान हो रहा है।
क्या है उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, जिसे कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स या CPI भी कहा जाता है शहरी उपभोक्ताओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं का एक बास्केट तैयार करता है और इस बास्केट में समय के साथ होने वाले कीमत परिवर्तन की तुलना करता है।
MP के सवा लाख संविदा कर्मचारियों की जेब पर डाका: CPI इंडेक्स की वजह से बढ़ने की जगह सैलरी में हो गया 6 हजार तक का नुकसान #MPNews #SamvidaKarmchari #salary @CMMadhyaPradesh @JagdishDevdaBJP @GADdeptmp
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इस बास्केट में मुख्य रूप से अनाज, दूध और कॉफी, आवास लागत, गैसोलीन, कपड़े, चिकित्सा देखभाल, संचार सेवाएं, व्यक्तिगत सेवाएं जैसी चीजों को शामिल किया जाता है।
मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के साथ हुआ क्या?
2023 के पहले तक संविदा कर्मचारियों के साथ सबकुछ अच्छा चल रहा था। उस समय संविदा कर्मचारियों को छठवें वेतनमान के अनुसार वेतन मिल रहा था जबकि नियमित कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दिया जा रहा था।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव से पहले 4 जुलाई को संविदा कर्मचारियों की महापंचायत बुलाई थी। इसमें 9 घोषणाएं की थी। इसमें संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान वेतन देने की भी एक घोषणा शामिल थी।
22 जुलाई 2023 को इस घोषणा को लेकर संविदा नीति के जो आदेश जारी हुए तो इन्हें सीपीआई इंडेक्स के आधार पर वेतन देने का प्रावधान कर दिया गया।
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संविदा कर्मचारियों को ऐसे हो रहा नुकसान
नियमित कर्मचारियों को बेसिक सैलरी पर महंगाई भत्ते की गणना होती है। जबकि संविदा कर्मचारियों को अब महंगाई भत्ते की जगह सीपीआई मिल रहा है।
पद | CPI के आधार पर वेतन | DA के आधार पर वेतन | अंतर/नुकसान |
सहायक यंत्री | 58000 रुपये | 64050 रुपये | 6050 रुपये |
प्रोग्रामर | 58000 रुपये | 64050 रुपये | 6050 रुपये |
एपीसी फाइनेंस | 58000 रुपये | 64050 रुपये | 6050 रुपये |
एपीसी जेंडर | 44850 रुपये | 49200 रुपये | 4350 रुपये |
बीआरसी | 44850 रुपये | 49200 रुपये | 4350 रुपये |
उपयंत्री | 44600 रुपये | 49200 रुपये | 4600 रुपये |
एमआईएस कॉर्डिनेटर | 44600 रुपये | 49200 रुपये | 4600 रुपये |
लेखपाल | 34400 रुपये | 37950 रुपये | 3550 रुपये |
सहायक वार्डन | 34400 रुपये | 37950 रुपये | 3550 रुपये |
डाटा एंट्री ओपरेटर | 26500 रुपये | 29250 रुपये | 3750 रुपये |
लिपिक | 26500 रुपये | 29250 रुपये | 3750 रुपये |
वाहन चालक | 26500 रुपये | 29250 रुपये | 3750 रुपये |
भ्रत्य | 21110 रुपये | 23250 रुपये | 2150 रुपये |
महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत है, जबकि सीपीआई केंद्र सरकार ने 5.87 जारी किया है, वहीं मध्य प्रदेश में इसे और कम कर 3.87 किया गया है। सीपीआई एक साल बाद मूल वेतन का हिस्सा हो जाता है, लेकिन ये बेहद कम होने से कर्मचारियों को 6 हजार रुपये तक का नुकसान हो रहा है।
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25 सालों से मिल रहा था महंगाई भत्ता
25 वर्षों से नियमित पद का न्यूनतम वेतन और उस पर शासकीय कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते के अनुसार जो वेतन इन्हे मिल रहा था वह इसके बाद बढ़ने की बजाय नुकसान हो गया।
जो वेतन इसमें तय किया गया वह महंगाई भत्ते के हिसाब से मिलता तो कम नहीं होता। संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि 4% के बाद अब नियमित कर्मचारियों को 50 प्रतिशत डीए मिल रहा है।
उसके हिसाब से सीपीआई इंडेक्स के कारण संविदा कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान हो गया। हम इसी हफ्ते मुख्य सचिव को इसका ड्राफ्ट सौंपेंगे।