Bhopali भोपाल। लंका से लौटने के बाद भगवान श्री राम सबसे पहले भोपाल के आयोध्या बायपास पर तशरीफ लाए.. ओरिजनल आयोध्या भोपाल में ही है.. वो बायपास पर से चलते हुए भोपाल में आए.. यहां पर उन्होंने पहली दिवाली मनाई..
ये कहना है जनाब अब्दुल्ला भोपाली (Bhopali) का… अगर अब्दुल्ला भोपाली की बातों पर यकीन करें, तो पहली दिवाली जुमेराती में ही मनाई गई थी… पटियाबाजों और बतोलों के शहर भोपाल (Bhopali) में सूरमाओं की कमी नहीं है…
दिवाली के खास मौके पर हमारी मुलाकात हुए अब्दुल्ला भोपाली (Bhopali) और फेंकू भोपाली (Bhopali) से हुई.. उन्होंने पुराने दौर की दिवाली.. हमास-इजरायल जंग और आतिशबाजी से जुड़े कई किस्से सुनाए.. इस खास बातचीत में फेंकू की चटर-पटर के साथ- ठहाकों के बम भी हैं..
पढ़िए फेंकू की चटर-पटर शायरी
खूब हंसा करो, इन दातों से खिल-खिलाकर
बुढ़ापे में दर्द ही देंगे ये हिल-हिलाकर..
हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई, सबको सीधा करे लुगाई..
पढ़िए फेंकू की चटर-पटर शायरी
सुना है यार हमने, बीवीयों को गम नहीं होते
मगर साहिब, हमारे गम कभी भी कम नहीं होते
सजाई जाती है महफिल, उतारे जाते हैं बुर्के
बड़ा अफसोस होता है, वहां पर हम नहीं होते..
तमन्नाएं बीवियों की, मान लेना फर्ज है सबका..
सुना है टालने के शौहरों के दम नहीं होते..
मियां फेंकू अभी तो फुलझड़ी देंगे ठहाकों की..
वो बम जैसे तो लगते हैं, कभी भी बम नहीं होते..
पढ़िए फेंकू की चटर-पटर शायरी
ना जाने उसने भेजी थी या धोखे में चली आई..
जो चिट्ठी उसको लिखी थी वो कचरे में चली आई..
कहा उससे इधर आओ तो बोली, हम नहीं आते
कहा चूल्हे में जाओ तो वो गुस्से में चली आई..
वो सब थी 5 बहनें, चार की तो खुल गई किस्मत
जो काली बच गई थी वो मेरे हिस्से में चली आई
बहुत मिन्नत, खुशामद की नहीं लौटी वो मायके से
दिया सौतन का झटका एक झटके में चली आई…
मेरी इज्जत का कचरा कर दिया उस गांव वाली ने..
कहा था टैक्सी करना, वो टांगे में चली आई..
फेंकू भोपाली (Bhopali) को पढ़ने के बाद अब रुख करते हैं अब्दुल्ला भोपाली(Bhopali) की.. उन्होंने हमें पटियेबाजी वाली खास दिवाली के बारे में बताया..
पहले अयोध्या आए थे भगवान राम- अब्दुल्ला भोपाली
लंका से लौटने के बाद भगवान श्री राम सबसे पहले भोपाल (Bhopali) के अयोध्या बायपास पर तशरीफ लाए.. ओरिजनल अयोध्या भोपाल में ही है.. वो बायपास पर से चलते हुए भोपाल में आए.. यहां पर उन्होंने पहली दिवाली मनाई.. जुमेराती के अंदर उस वक्त भोपाल में 21 दिन की दिवाली मनाई गई थी.. जनकपुरी यानी जुमेराती में उनका ससुराल था…. पहले जुमेराती का नाम जनकपुरी ही था…
भगवान राम के आने की खुशी में नवाब साहब ने बन्ने खां से दिवाली के पटाखे बनवाए थे.. उन्होंने ऐसे अनार बनाए जो 5 दिन तक जलते रहे.
.पहले भोपाल (Bhopali) नवाब दिवाली आने से पहले ही तैयारियां शुरू करवा देते थे… नवाब साहब 10-10 किलोमीटर लंबी बताशों की सड़क बनवा देते थे… उस पर ही चाशनी डाली जाती थी.. तब ही पता चलता था कि, दिवाली आ गई है… फिर लोग वो ही बताशे नोंच-नोंच कर खा लिया करते थे… जिससे सड़क पर गढ्डे हो जाया करते थे..
यहां से तय होते हैं सियासी मोहरे
भोपाल (Bhopali) में ही तो एटम बम का इजाद हुआ है… पहले चांदनी रात में सुखा कर एटम बम बनाते थे.. एटम बम बनाने का आइडिया बन्ने खां भोपाली ने ही दुनिया को दिया था.. दिल्ली की सियासत भी भोपाल (Bhopali) से ही तय होती है, कौन मुख्यमंत्री बनेगा कौन प्रधानमंत्री ये सारी चीजें भोपाल में शतरंज खेलते हुए तय होती है..
बुधवारे में खत्म होगी जंग
अगर हमास-इजरायल की जंग खत्म करवाना है तो वो भोपाल (Bhopali) आ जाएं.. हम बुधवारा में उनकी जंग खत्म करवा देंगे.. हम लोगों ने दो सेकेंड वर्ल्ड वॉर भी रुकवा दिया था… हम दोनों देशों को गले मिलवा देंगे.. जिससे उनकी जंग खत्म हो जाएगी..
करेगी लोटपोट