MP Local Election: मध्य प्रदेश में लोकल चुनाव में बड़े बदलाव की तैयारी हो रही है। जिला पंचायत और जनपद पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव अब डायरेक्ट हो सकते हैं। यानी जनता जिला पंचायत और जनपद अध्यक्ष का चुनाव कर सकेगी।
ये चुनाव दलीय आधार यानी पार्टी सिंबल पर हो सकते हैं। इसके साथ ही नगरीय निकायों में नगर परिषद् अध्यक्ष का चुनाव भी डायरेक्ट कराया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर सीएम सचिवालय इसकी प्लानिंग कर रहा है।
जनता सीधे चुन सकेगी जिला-जनपद पंचायत अध्यक्ष: नगर परिषद् अध्यक्ष का इलेक्शन भी डायरेक्ट होगा, सीएम सचिवालय कर रहा प्लानिंग!#MPNews #CMMohanYadav #MPLocalElection #election @CEOMPElections @CMMadhyaPradesh @pspoffice @minprdd https://t.co/0lqmgnAIzI
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) November 1, 2024
अभी ये व्यवस्था
पंचायत के चुनाव गैरदलीय आधार पर होते हैं। राजनीतिक दल सीधे उम्मीदवारों को टिकट नहीं देते बल्कि उन्हें समर्थन देते हैं। इसकी वजह से इन चुनावों में जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त जमकर होती है।
यदि यह बदलाव होता है तो जनता जिस तरीके से सीधे महापौर चुनती है, वैसे ही वह आने वाले समय में जिला पंचायत और जनपद अध्यक्ष को भी चुन सकेगी।
दो साल पहले परिषद अध्यक्ष चुनाव में अप्रत्यक्ष प्रणाली लागू
दो साल पहले ही नगर परिषद अध्यक्ष में अप्रत्यक्ष प्रणाली को लागू कर दिया गया। मतलब नगर निगम में महापौर को तो जनता ने सीधे वोट डालकर चुना।
लेकिन नगर परिषद में जनता ने पहले पार्षद को चुना फिर पार्षदों ने अपने अध्यक्ष को चुना। अब इस व्यवस्था में फिर से बदलाव लाने की तैयारी है। नगर परिषद के अध्यक्षों का भी प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव किया जा सकता है।
1999 तक अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही होते रहे चुनाव
अप्रत्यक्ष प्रणाली से नगरीय निकाय के अध्यक्ष के चुनने का ये तरीका कांग्रेस शासनकाल में 1999 तक लागू रहा, लेकिन तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने इसे बदला।
तब से 2022 तक हुए चुनावों में महापौर-अध्यक्ष को जनता ही चुनती आ रही थी। हालांकि 2022 में नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कर दिया गया।
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पंचायत राज अधिनियम में करना होगा बदलाव
जानकार बताते हैं कि सरकार यदि जिला-जनपद और नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव डायरेक्ट कराना चाहती है तो इसके लिए नगर पालिका और पंचायत राज अधिनियम में संशोधन करना पड़ेगा।
इसके लिए विधानसभा सत्र के दौरान पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग तथा नगरीय आवास और विकास विभाग की ओर से कानून में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष लाया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधानसभा से संशोधन होगा।
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