Omkareshwar Solar Plant: मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध के पानी पर बने विश्व के सबसे बड़े तैरते सोलर पावर प्लांट से बिजली सप्लाई शुरू हो गई है। फिलहाल, 278 मेगावाट की 3 यूनिट से करीब 200 मेगावाट बिजली बनाई जा रही है। इसे 3 रुपए 22 पैसे प्रति यूनिट की दर से मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (एमपीपीएमसीएल) खरीद रही है।
मां नर्मदा के आंचल पर तैरता एशिया का सबसे बड़ा 'फ्लोटिंग सोलर प्लांट'
पावन दीप पर्व पर अत्यंत हर्ष का विषय है कि 'ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्लांट' द्वारा आज से 278 मेगावाट की अपनी पूर्ण क्षमता के साथ विद्युत उत्पादन प्रारंभ हो गया है। यह उपलब्धि 'ग्रीन ऊर्जा एवं ऊर्जा के… pic.twitter.com/T4V0zF7gp7
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) October 30, 2024
ओंकारेश्वर बांध के बैक वाटर पर इंस्टॉल है प्रोजेक्ट
इस प्रोजेक्ट को मध्यप्रदेश सरकार ने एनएचडीसी विभाग के माध्यम से ओंकारेश्वर बांध के बैक वाटर में तैयार किया है। तीनों यूनिट अलग-अलग लगाई गई हैं। तीन कंपनियों- एएमपी एनर्जी ग्रीन सेवन लिमिटेड, नर्मदा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHDC) और सतलज जल विकास निगम (SJVN) ने बिजली उत्पादन के लिए एमओयू किया है।
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्लांट (Omkareshwar Solar Plant) से 22 जून 2024 से ही 50 प्रतिशत बिजली बनाई जा रही थी। 11 अक्टूबर को इस प्लांट का विधिवत उद्घाटन किया गया। तब से अब तक क्षमता की 60% बिजली यहां बनाई जा रही है।
किस तरह फ्लोटिंग सोलर प्लांट से बनती है बिजली
प्रोजेक्ट मैनेजर लॉरेंस के मुताबिक, सौर नवीकरणीय ऊर्जा के पावर प्लांट में लगभग 2 लाख 13 हजार से अधिक मोनो क्रिस्टलाइन बाइफेसियल तकनीक का उपयोग किया गया है। 590 वाट प्रति मॉड्यूल की क्षमता के प्लांट में 24 सोलर एरिया बनाए गए हैं। हर एरिया में सोलर पैनल को HDPI से बने फ्लोटिंग प्लेटफार्म पर इंस्टाल किया गया (Omkareshwar Solar Plant) है।
यह प्लेटफार्म 200 मीट्रिक टन तक वजन उठा सकता है। फेरो सीमेंट से बने प्लेटफार्म में 30 प्रतिशत फ्लाईऐश (राखड़) और ओपीसी सीमेंट का इस्तेमाल किया है।
फ्लोटिंग सोलर प्लांट की विशेषता
- प्लांट से बिजली पैदा करने के लिए पानी की सतह पर सोलर पैनल लगाए गए हैं।
- सोलर पैनल पानी की सतह पर तैरते रहते हैं और जलस्तर में बदलाव होने पर खुद बैलेंस बना लेते हैं।
- प्लांट से 12 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा, जो करीब एक करोड़ 52 लाख पेड़ लगाने के बराबर है।
- इससे बिजली पैदा होने के साथ-साथ पानी में शैवाल जैसी वनस्पतियां भी कम विकसित होंगी।
प्रोजेक्ट में सोलर पैनल से लेकर ट्रांसफॉर्मर तक सब स्वदेशी
एनएचडीसी ने इंधावड़ी गांव में 88 मेगावाट, एसजेवीएन ने ऐखंड गांव में 90 मेगावाट और एएमपी ने केलवा खुर्द में 100 मेगावाट का प्लांट बना है। बिजली सप्लाई के लिए ऊर्जा विकास निगम ने ट्रांसफॉर्मर और पावर सब स्टेशन बनाए (Omkareshwar Solar Plant) हैं।
प्लांट का निर्माण केंद्र सरकार की अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क (UMREPP) योजना के अंतर्गत किया जा रहा है। इसे सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड तैयार कर रहा है। सेकंड फेस के भी टेंडर हो चुके हैं। दोनों चरणों की कुल क्षमता 600 मेगावाट है। कुल 21 वर्ग किलोमीटर एरिया में बन रहे प्रोजेक्ट की लागत 5 हजार करोड़ आएगी। प्रोजेक्ट में सोलर पैनल से लेकर ट्रांसफॉर्मर तक सभी स्वदेशी (Omkareshwar Solar Plant) हैं।
फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (MPPGCL) खरीद रही हैं। इसके लिए बैकवाटर किनारे सक्तापुर गांव में 33 केवीए क्षमता का पावर सब स्टेशन बना है। यहां 100-100 मेगावाट क्षमता के चार ट्रांसफॉर्मर लगे हैं। यहां से विद्युत कंपनी के छैगांवमाखन (तोरणी) सब स्टेशन को जोड़कर बिजली की सप्लाई की जा रही (Omkareshwar Solar Plant) है।
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खंडवा पावर का जंक्शन बनेगा
कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने कहा कि खंडवा (Omkareshwar Solar Plant) देश का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां थर्मल यानी कोयला, हाइड्रल यानी पानी और अब सोलर से बिजली बनेगी। जिले में संत सिंगाजी थर्मल प्लांट से 2520 मेगावाट और इंदिरा सागर जल विद्युत परियोजना से 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। खास बात है कि तीनों परियोजना (सोलर, हाइड्रल और थर्मल) एक ही पुनासा तहसील में मौजूद हैं।
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