MP Foundation Day: मध्यप्रदेश आज 68 साल का हो गया है। 1 नवंबर 1956 को राज्य का गठन हुआ था। प्रदेश आज अपना 69वां स्थापना दिवस मना रहा है।
मध्यप्रदेश के गठन की कहानी बड़ी रोचक है। इसके गठन में 34 महीनों का वक्त लग गया था, इसके बाद मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया था।
#WATCH | Ujjain: MP CM Mohan Yadav says, "MP Foundation Day is celebrated on 1st November. It is a glorious moment for us. Madhya Pradesh has created its own identity and possibilities are emerging in various fields like industry, agriculture, IT. The government is encouraging… pic.twitter.com/8CeQr8imei
— ANI (@ANI) November 1, 2024
कैसे बना मध्यप्रदेश ?
आजादी के पहले और कुछ समय बाद तक मध्यप्रदेश को सेंट्रल प्रोविंस यानी मध्य प्रांत और सीपी एंड बरार के नाम से जाना जाता था। मध्यप्रदेश को सीपी एंड बरार, मध्य भारत (ग्वालियर-चंबल), विंध्य प्रदेश और भोपाल को मिलाकर बनाया गया। इसके लिए देश में राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया गया था। आयोग को उत्तर प्रदेश के बराबर बड़ा राज्य बनाने का जिम्मा था। क्योंकि इसे महाकौशल, ग्वालियर-चंबल, विंध्य प्रदेश और भोपाल के आसपास के हिस्सों को मिलाकर बनाना था।
मध्यप्रदेश के गठन में क्यों लगे 34 महीने ?
मध्यप्रदेश को बनाने में सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि इसे 4 राज्यों को मिलाकर बनाना था। पहले से मौजूद राज्यों की अपनी अलग पहचान और अलग विधानसभा थी। जब सभी को मिलाया जाने लगा तो रियासतदार विरोध करने लगे। ऐसे में सभी से समझौतों को पूरा करने में करीब 34 महीनों का वक्त लग गया।
मध्यप्रदेश के पुनर्गठन में ये इलाके हुए शामिल
पार्ट-A – इसकी राजधानी नागपुर थी और इसमें बुंदेलखंड और छत्तीसगढ़ की रियासतें शामिल थीं।
पार्ट-B – इसकी राजधानी ग्वालियर और इंदौर थीं। इसमें मालवा-निमाड़ की रियासतें शामिल थीं।
पार्ट-C – इसमें विंध्य के इलाके शामिल थे, जिनकी राजधानी रीवा थी।
महाकौशल – ये अलग क्षेत्र में गिना जाता था, जिसकी राजधानी जबलपुर थी।
(पार्ट-A, पार्ट-B और पार्ट-B और महाकौशल के अलावा भोपाल में नवाबी हुकूमत थी)
मध्यप्रदेश को किसने दिया नाम ?
राज्य पुनर्गठन आयोग को सभी सिफारिशों पर विचार करने में करीब 34 महीनों का वक्त लगा। सभी अनुशंसाओं के बाद आयोग ने पीएम जवाहरलाल नेहरू के सामने रिपोर्ट रखी। उन्होंने इसे मध्यप्रदेश नाम दिया। 1 नवंबर 1956 को देश के दिल मध्यप्रदेश का गठन हुआ।
गठन के वक्त मध्यप्रदेश में थे 43 जिले
1 नवंबर 1956 को गठन के वक्त मध्यप्रदेश में 43 जिले थे। 1998 में 10 नए जिले बनाए गए। 1998 में ही सिंहदेव समिति की सिफारिश पर 6 और जिले बनाए गए। प्रदेश में 61 जिले हो गए। 31 अक्टूबर 2000 में मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग हो गया। 16 जिले छत्तीसगढ़ में चले जाने से जिलों की संख्या 45 हो गई। 2003 में 3 नए जिले बुरहानपुर, अनूपपुर और अशोकनगर बनाए गए। जिलों की संख्या 48 पहुंच गई। इसके बाद 2008 में आलीराजपुर और सिंगरौली को जिला बनाने से 50 जिले हो गए। 2013 में आगर नया जिला बना और प्रदेश में 51 जिले हो गए। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 55 जिले हैं।
मध्यप्रदेश में 7 करोड़ से ज्यादा लोग
मध्यप्रदेश की जनसंख्या 7 करोड़ से ज्यादा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक प्रदेश की आबादी 7 करोड़ 26 लाख थी। प्रदेश की जनसंख्या देश की आबादी का 5.99 प्रतिशत है।
शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ा मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति की है। 2011 में प्रदेश की साक्षरता दर 64.11 प्रतिशत थी। 2011 में ये बढ़कर 70.63 प्रतिशत हो गई।
मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री
मध्यप्रदेश के पहले सीएम रविशंकर शुक्ल थे। उनका कार्यकाल 6 साल 340 दिन का रहा था। इसके बाद भगवंतराव मंडलोई, कैला नाथ काटजू, द्वारका प्रसाद मिश्र मुख्यमंत्री बने। प्रदेश में वर्तमान में डॉक्टर मोहन यादव मुख्यमंत्री हैं।
भोपाल कैसे बनी मध्यप्रदेश की राजधानी ?
1972 में भोपाल को मध्यप्रदेश की राजधानी बनाया गया। भोपाल को राजधानी बनाने में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. शंकर दयाल शर्मा, भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान और पंडित जवाहर लाल नेहरू की अहम भूमिका रही थी। ग्वालियर और जबलपुर भी राजधानी की रेस में दावेदार थे। भोपाल के नवाब भारत के साथ संबंध ही नहीं रखना चाहते थे। वे हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत का विरोध कर रहे थे। केंद्र नहीं चाहता था कि ‘भारत का हृदय’ राष्ट्र विरोधी गतिविधों में शामिल हो इसलिए सरदार पटेल ने भोपाल पर नजर रखने के लिए उसे राजधानी बनाने का फैसला किया।
मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और प्राचीन विरासत
– भगवान राम के वनवास से जुड़ी पौराणिक कथाओं से लेकर पांडवकालीन गुफाओं के लिए मध्यप्रदेश जाना जाता है।
– खजुराहो स्मारक की नागर-शैली की वास्तुकला, नायकों और देवताओं की सुंदर मूर्तियों को देखने दुनियाभर से पर्यटक छतरपुर आते हैं।
– मध्यप्रदेश के विदिशा का सांची स्तूप पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। सांची स्तूप को तीसरी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक ने बनाया था।
– राजधानी भोपाल से करीब 45 किलोमीटर दूर भीमबेटका है। ये प्रदेश का प्राचीन स्थल है।
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