Jammu Kashmir Terrorists Killed: जम्मू-कश्मीर में सेना की एंबुलेंस पर गोलियां चलाने वाले 3 आतंकियों को आर्मी के जवानों ने मार गिराया है। सुबह 7 बजकर 26 मिनट पर LOC के पास भट्टल इलाके में आतंकियों ने एंबुलेंस पर फायरिंग की थी। हालांकि इसमें जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था। आतंकी जंगल की ओर भागे थे, इसके बाद जवानों ने सर्च ऑपरेशन चलाया था।
5 घंटे चला एनकाउंटर
आर्मी की एंबुलेंस पर फायरिंग करने के बाद आतंकी जंगल की तरफ भाग गए थे। करीब 5 घंटे की मशक्कत के बाद जवानों ने तीनों आतंकियों को मार गिराया। इससे पहले आतंकियों ने 24 अक्टूबर को बारामूला में सेना की गाड़ियों पर अटैक किया था। इसमें 3 जवान और 2 पोर्टर शहीद हुए थे।
शिव आसन मंदिर में छुपे थे आतंकी
तीनों आतंकवादी पिछली रात बॉर्डर पार करके अखनूर आए थे। गांव वालों ने शिव आसन मंदिर में उनके छुपे होने की खबर दी थी। वे किसी को कॉल करने के लिए मोबाइल ढूंढ रहे थे। इस दौरान जब आर्मी एंबुलेंस गुजरी तो उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी।
एक हफ्ते में 5वां अटैक
आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर में एक हफ्ते में ये 5वां हमला किया है। आतंकी हमलों में 3 जवान शहीद हुए हैं। वहीं 8 स्थानीय लोगों की जान गई है।
24 अक्टूबर – बारामूला में सेना की गाड़ी पर हमले की जिम्मेदारी PAFF संगठन ने ली थी। पुलिस ने बताया कि आतंकवादी हमले के बाद जंगल की तरफ भाग गए थे।
24 अक्टूबर – दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के बटगुंड में आतंकवादियों ने एक मजदूर पर फायरिंग की। इस हमले में मजदूर घायल हो गया है और उसका इलाज जारी है।
20 अक्टूबर – गांदरबल के सोनमर्ग में कश्मीर के डॉक्टर, मध्य प्रदेश के इंजीनियर और पंजाब-बिहार के 5 मजदूरों की मौत हो गई। इसकी जिम्मेदारी लश्कर के संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी।
16 अक्टूबर – शोपियां में आतंकियों ने एक गैर-स्थानीय युवक को गोली मारकर हत्या कर दी। हमले के बाद, आतंकियों की तलाश के लिए इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया।
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घाटी में गैर-कश्मीरियों की हत्या का कारण
खुफिया एजेंसियों ने कहा है कि टारगेट किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की एक नई योजना है। इसका उद्देश्य आर्टिकल 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं को बाधित करना है। आर्टिकल 370 के हटने के बाद से कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिसमें आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी श्रमिकों और यहां तक कि सरकारी या पुलिस में काम करने वाले स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का समर्थक मानते हैं।
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